"कार्तिकेय (मोहन्याल)": अवतरणों में अंतर

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'''[[कार्तिकेय]] (मोहन्याल)''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[रुद्रप्रयाग जिला|रुद्रप्रयाग]] जिला में स्थापित [[केदारनाथ]] का बढा बेटा के रूप में माने जानेवाले युद्द्का राजा (सेना नायक शक्तिशलि )देवता हें। अधर्मी [[तारकासुर]] (खापरे) राक्षेस को मार्नेको लिए कार्तिकेयका जन्म हुआ था । [[गणेश]] पूजनीय हें तो कार्तिकेय शक्ति के राजा हें। कृतिकाओं के द्वारा लालन पालन होने के कारण कार्तिकेय नाम पड़ गया। प्राचीन कालमे कुमाऊ गडवालका केदार नाथ के वीर्य से कर्तिकेयका जन्म हुवा था । केदारनाथ जोशीमठ के ज्योतिष से आफ्ना पुत्रका जन्मकुण्डली जान्नेको लिय छैटौ दिन्मे जोशीमठका ज्योतिष कहा गए थे । जोशीमठ के ज्योतिष ने केदारनाथ का पुत्रका जन्मकुण्डली शास्त्र अनुसार देखनेका बाद इस बालक ने बहुत शक्ति ले कर केदारनाथ का मूल जन्म लिया है कहिके केदारनाथ को बताया । केदारनाथ का साथ मे रहने से धोका होना बात बि ज्योतिष ने केदारनाथ को बतानेका बाद [[केदारनाथ]] ने समाधानका बिकल्प अनुसार तामा का ढोल के अन्दर बन्द करके वहाका [[मन्दाकिनी नदी]] मे बगा दिया । पिछे अयोध्याका रघुवंशी राजाका सवार मन्दाकिनी नदीके पाससे हो रही थि ।नदीके बीच बीच कार्तिकेय को बन्द करा वाला ढोल बगके आयेतो राजाने गोडिया को बोले इसपर जाल हान तब गोडिया जाल फेकी तो तामाका ढोल का अन्दर सुन्दर बालक देखि तो राजाने अपना राजसिहासन (पालकी ) से उतरकर उस बालकको समाया नदी के बाहार लाया । विश्वामित्र से पूजा कराय पहेंलो वर्णके सुन्दर बालक को केदारनाथ ([[शिव]]) पार्वती ने बैजन्ति माला पहिराई तो बालक बोल्ने लागे । राजाने उसको अपना कुलदेवता मानकर कार्तिकेयपुरी राज्यमे लाया इसी देवाताके नाममे कर्तिकेयापुरी राज्य चलाया । [[कत्यूरी राजवंश]]का कार्तिकेयपुरी राज्य का राजधानी धोस्त हुनेका बाद बैशाख शुक्ल मोहनी एकादशी के दिन १३औ शतब्दी मे कार्तिकेयपुरी से डोटी बोगटान लानेका कारण कार्तिकेयका नाम मोहनी एकादशी के नामसे मोहन्याल हो गया । जाल हाने वाला गोडियाको तामाका ढोल देदिया तो उस दिनसे गोडिया ढोल बजान लग्यो तो उसका जात ढोल बजाके ढोली भयो ।अभि नेपालके डोटी के बोगटान राज्य मे कार्तिकेयका कार्तिकशुक्ल दशमी मे यी देवताकी जांत पर्व व कार्तिकशुक्ल हरिबोधनी मे यिनकी पुजा होती है। ढोल दिया वाला ढोली  मोहन्यालका जांत मे ढोल बजाता है । कत्युरी राजा यिनको नेपालमे मोहन्याल के नामसे पुजा करते है। कत्युरी के कुल के ब्राहमण कौडिन्य गोत्रके है। कौडिन्य ,भारद्वाज वा कश्यप गोत्रके जोशी , वडू ब्राह्मण राजदरवार के पुज्य ब्राहमण कत्युरी वंशज के राज्पुतोके साथ नेपालमे रहते है। ये ब्राहमण यिन देवताको बैदिक बिधि बिधानसे सुद्द होकर पूजा करते है । मोहन्याल देवताने डोटी से खपरे (तरकासुर/ तारकासुर दैत्य ) दैत्यको मारा था । खपरे जुम्ला दुल्लुके राजा क्रच्ल्लका कुलदेवता था । क्रचाल्ल ,अशोक चल्ल(मल्ल) का वंशज डोटी के रैका राजा मल्ल/शाही है । ए लोग मस्टो , निमौने (डाडे मस्टो /ताड़कासूर) को कुलदेवता मान्ने वाला जुम्ला,दुल्लुके राजाका वंशज है । ताड़कासूर, ताडकेश्वर, ताडेश्वर का अपभ्रंश से हि रैका राजाका कुलदेवता का नाम तेडी पडा है | डोटी रैका मल्ल/शाही राजाका देवता ६४ बोका (बकरा ) का घाँटी दांत से काट्ता है । कार्तिकेय(मोहन्याल)गण के देबी देवता उसको असुद्द दानव राक्षेस कहते है । डोटी रैका व कत्युरी वंशज के देबी देवता एक - दुसराका दुस्मन देवता है ।कुमाऊ गडवालका प्राचीन [[खस]] कुनिंद वंशज के सिंजा दुल्लु डोटी के रैका राजा व दक्षिण भारत [[उज्जैन]] से आए हुए राजा [[विक्रमादित्य]] के वंशज कत्युरी एक दुसराका बिबाहित मित्र नही होके राज्य के लिए एक दुसराका दुस्मन थे । इसी कारण  कुमाऊ गडवाल डोटी मे यिनका राज्यके लिए युद्द हुआ था । [[खस]] राजा डोटी रैका शाही ने बि.स १४४१ मे कत्युरी पाल राजाका डोटी राज्य छिन लिया इसका बाद इसी १४औ शताब्दी से डोटी से कुमाऊ गडवाल के जागेश्वर ,बागेश्वर बैजनाथ देवालय के लिए  भण्डारा लेजना बन्द कर दिया  । <ref name= " Same "> मोहन्याल देवताका इतिहास बर्णन कार्तिकेय (मोहन्याल) डोटी नेपाल </ref>
[[File:Kartikeya (Mohanyal) Doti Aladi.jpg|thumb|