"नीतिशतकम्": अवतरणों में अंतर

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निम्नलिखित नीति श्लोक में कवि ने बड़े ही सुन्दर ढंग से धन का महत्त्व प्रतिपादित किया है-
: ''यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः स पण्डितपण्डितः स श्रुतवान् गुणज्ञः ।
: ''स एव वक्ता स च दर्शनीयः सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ते ॥
:: (अर्थ - जिसके पास वित्त होता है, वही कुलीन, पण्डित, बहुश्रुत और गुणवान समझा जाता है । वही वक्ता और सुन्दर भी गिना जाता है । सभी गुण स्वर्ण पर आश्रित हैं ।)