"कार्ल मार्क्स": अवतरणों में अंतर

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→‎बाहरी कड़ियाँ: #पठनीय यह लेख कार्ल मार्क्स के १८४३-४४ ई. में लिखे ‘हेगेल’ के दर्शन की आलोचना के रूप में लिखा गया। हालांकि यह लेख जर्मन में लिखा गया, और जर्मनी के संदर्भ में लिखा गया पर इसकी एक पंक्ति लोकप्रिय हुई, जिसमें धर्म को जनता की अफीम कहा गया। हालांकि इस लेख के कई अन्य पहलू है, परंतु इसकी प्रारंभिक भूमिका का सार का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है, जिसमें यह पंक्ति है। हेगेल के दर्शन की आलोचनात्मक संक्षिप्त व्याख्या लेखन: कार्ल मार्क्स, १८४३-१८४४ प्रथम प्रकाशन: ड्यूश फ्रैंजोशिशे य्हारब...
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== बाहरी कड़ियाँ ==
 
 
* [http://taptilok.com/pages/details.php?detail_sl_no=603&cat_sl_no=9 भारतीयता और मार्क्सवाद]
* [http://www.omprakashkashyap.wordpress.com/कार्ल मार्क्स : वैज्ञानिक समाजवादी]
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{{साँचा:अर्थशास्त्र}}
 
 
[[श्रेणी:मार्क्सवाद]]