"हैदराबाद सत्याग्रह": अवतरणों में अंतर

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सन् 1938-39 में जब अंग्रेजों का अत्याचार चरम पर था तब ब्रिटिश शासकों ने [[हैदराबाद का निजाम|हैदराबाद के निजाम]] से सांठ-गांठ कर हैदराबाद स्टेट में हिंदुओं की पूजा-अर्चना पर रोक लगा दी थी। इसके विरोध में [[आर्य समाज]] ने आंदोलन छेड़ा जिसे '''हैदराबाद सत्याग्रह''' कहा जाता है। इस आन्दोलन में [[हिन्दू महासभा]] ने आर्य समाज का साथ दिया। आंदोलन सफल हुआ और निजाम हैदराबाद को झुकना पड़ा। इस सत्याग्रह को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का भाग माना जाता है।
 
== परिचय ==
1938 में हैदराबाद में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|भा0 रा0 कांग्रेस]] की स्थापना हुई। थोड़े समय में ही यह पर्याप्त लोकप्रिय हो गयी। इससे डर कर निजाम ने 7.9.1938 को राज्य कांग्रेस पर भी प्रतिबंध लगा दिया। कांग्रेस ने सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया। इधर निजाम ने नये धार्मिक नियम लागू कर दिये। अब किसी [[मंदिर]] का निर्माण या मरम्मत उसकी अनुमति के बिना नहीं हो सकता था; पर यह नियम मस्जिदों पर लागू नहीं था। [[हिन्दी]] और [[संस्कृत]] के स्थान पर [[उर्दू]] को लागू किया जा रहा था। अन्य प्रदेशों से मुसलमानों को बुलवाकर वहां बसाया जा रहा था, जिससे हिन्दू अल्पसंख्यक हो जायें। गांवों व प्राचीन शहरों के नाम बदलकर मुसलमानी नाम दिये जा रहे थे। हिन्दुओं का जीना कठिन हो गया। इसके विरोध में आर्य समाज के नेतृत्व में हुए आंदोलन में 25 लोग बलिदान हुए।
 
== इन्हें भी देखें ==