'''रायचन्द बोराल''' [[बाङ्ला सिनेमा|बाङ्ला]] एवं [[हिन्दी सिनेमा]] के विख्यात संगीतकार थे। उनकेइनके पिता स्वयं एक शास्त्रीय संगीतकार थे। अतः संगीत विरासत में पाने के बावजूद उन्होंनेइन्होंने संगीत के विख्यात उस्तादों से शिक्षा पायी थी। इन्होंने ही पार्श्वगायन तकनीक की खोज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। [[कुन्दनलाल सहगल]] जैसे सुप्रसिद्ध व्यक्तित्व को सिनेमा से जोड़ने का काम बोराल जी ने ही किया था। सिनेमा में उनकेइनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सन् 1978 में उन्हें [[संगीत नाटक अकादमी सम्मान]] तथा उसी वर्ष के [[दादा साहब फाल्के सम्मान]] से सम्मानित किया गया।<ref>{{cite book |last1=डॉ॰ |first1=सी॰ भास्कर राव |title=दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता (भाग-1) |date=2014 |publisher=शारदा प्रकाशन |location=दरियागंज, नयी दिल्ली |isbn=978-93-82196-00-6 |pages=91,93,94 |edition=प्रथम}}</ref>