"साहिबी नदी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 8:
सबी नदी में सोता एवं सुरख्नाली दो अन्य धारें मिलती हैं. फिर ये तीनो धाराएं सयुंक्त होकर प्रवाहित होती हैं. इन तीनो के सयानुक्त प्रवाह के ऊपर एक क्षेत्रिय कहावत है - ''"सबी, सोता,सुरख्नाली, तीनूं चाले एक गली".''
== ''ऐतिहासिक परिचय
साबी नदी का जलागम स्त्तर पुराणों में वर्णित उज्जनक खंड के पश्चिमोत्तर भाग में आता है. उज्जनक खंड प्राचीन काल में एक बहुत बड़ा क्षेत्र था. यहाँ पर महर्षि कश्यप की पत्नी दिती से उत्पन्न हुए दैत्य, वीर पराक्रमी हिरण्यकशिपु एवं हिरण्याक्ष का राज्य था.
फिर मध्य काल में महमूद गजनवी के पिता सुबेदीन गजनवी ने सबी नदी के क्षेत्र को रोंद डाला और जनता को धर्म परिवर्तन के लिए मज़बूर किया और इस क्षेत्र को अपना राज्य बनाया. फिर आगे १२६१ ई. में गयासुदीन बलवंत ने आक्रमण कर इस क्षेत्र में लूटपाट की. फिर १४२१ ई. में बहादुर नाहर का बनाया किला भी नष्ट किया गया नीकुम्भ छत्रियों के बाद इस क्षेत्र में खान्जदों का शासन स्थापित हुआ. आलवाल खान खानजादे ने निकुम्भ छत्रियों से यह भू भाग छीनकर सन् १४९२ में अलवर दुर्ग का परपोता बनवाया.
|