"तारकासुर": अवतरणों में अंतर

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तारकासुर इस गण के देवाताओ का पूजा पुर्णिमा का दिन , भाद्र अनन्त चतुर्दशी व मङ्सिर जेठ के पुर्णिमा का दिन , तान्त्रिक मान्त्रिक व बैदिक दोनो बिधि से होती है । दुधेमष्टो ने बुढी दुध सुकेकी औरत का दुध निकाल कर खाया था इसी कारण दुधेमष्टो नाम पडा है । दाडे मष्टो ६४ बकराका वलि खाता है । दुधेमष्टो बाहेक और मष्टो तामसी स्वभावका माँसाहारी है । धामी नाचाकर तान्त्रीक/मान्त्रीक विधिसे यिनका पूजन होती है । भेडाको वली खाने भेडो और घोडो साँण चढने वाला देवता बि इस गण मे बिध्यमान है ।
 
==ये देवातौंदेवताऔ का भूगोल==
हिमालका आसपास का भूगोल और यिनका भूगोल खारिक्षेत्र, गुगे, छिपलाकोट, बझाँङ्ग, बाजुरा, डोटी सेतीनदी आसपास खप्तड, डोटी गडसिरा क्षेत्र तेले लेक उत्तर पूर्व, अछाम,कालिकोट, जुम्ला, मुगु, हुम्ला से नेपालका गुल्मी ,पर्वत पूर्बी नेपाल भारत होती बर्मा तक हिमालय ,महाभारत पर्वत शृंखला का आसपास खस लोगो का आवाद क्षेत्र हैमे इस गण के देवताका भूगोल है
 
==कुलदेवता ==