"कार्तिकेय (मोहन्याल)": अवतरणों में अंतर

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कार्तिकेय देवता प्राप्ति के सुरुवात्मे राजा मे ये देवता अवतार होता था । जोशीमठ व बैजनाथ के रणचुलाकोट होना का कालखण्ड मे कार्तिकेयपुरी राजा मे कार्तिकेय देवता अवतार होता था उसी कारण रणचुला कोट को देवताका कोट भी बताते है । जब डोटी आए तो रैका से युद्द का कालखण्ड था देख्ने आदमी भी कहने लगे राजा देवता अवतार होके नाच्ने लगे रैती दुनिया देख्ने लगे ये उल्टा होगै अब राजा देख्ना चाहिय रैती दुनिया नाचना चाहिय जैसा बात समाज मे आनेका बाद राजाका बि क्रधिच्ल्ला के वंशज रैका से युद्द कर्ने के लिय युद्द्के रणभूमि मे जुट्ना था उसिसे राजाका गोत्र शौनक दान कर के ताड़ी, बोहरा लोगको ये देवताका धामी भारंडी होना शौप हुवा है । अब डोटी बोगटान के [[कत्यूरी राजवंश]] के बम [[रजवार]] लोग रमिता देखते है देवताका सम्मान ग्रहण करके एक स्थान मे वैठ के निर्णय देते है । गैर राजपुत ये देवताका धामी भारंडी हो के कार्य करते है ।
==वैदिक देवताऔ का भूगोल==
[[नेपाल]] देश का महाकाली ([[शारदा नदी]])नदी से सटे हुए जिल्ला दार्चुला, बैतडी ,डडेल्धुरा ,डोटीके बोगटानका भूगोल सेती नदी दक्षिण पश्चिम (तेलेका लेक दक्षिण) कैलाली ,कंचनपुर ,सुर्खेत ,काठमाडौँ सहित दक्षिण पश्चिम, महाभारत पर्वत शृंखला का आसपास व भारत देशका [[उत्तराखण्ड]] राज्यका कुमाऊ, गडवाल सहित दक्षिण [[भारत]] वैदिक आर्य लोगो का आवाद क्षेत्र मे इस वैदिक गण के देवताका भूगोल है ।
 
==कार्तिकेयपुरी राज्य अन्तका कारण==