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[[कार्तिकेय]] देवताका प्राचीन मन्दिर  बागेश्वर जिल्ला कुमाऊ  [[बैजनाथ]] लिलाचौरी हाट मे  जिर्ण अवास्थामे है । क्राचल्ल राजा शाके ११४५ मे कार्तिकेयपुरी के राजधानी रणचुलाकोट धोस्त कर्ने के बाद ये कर्तिकेयाका मन्दिरमे पूजा बन्द होगै । बिगत ७९५ बर्ष से बैजनाथ के लिलाचौरी हाटका कार्तिकेयगण के यीस मन्दिर मे पूजा नही है ।  यी मन्दिर अब बैजनाथ क्षेत्रका पुरातात्वि मन्दिर बन पडा है । बैजनाथ के लिलाचौरी हाटका कार्तिकेयगण के देवता के धामी नाच्ने स्थान प्रयोग बिहिन है । ये कार्तिकेय देवताका मन्दिर व देवताका धामी का लिला देखने व नाच्नेहाट (जांतके दिन बजार लाग्ने वाला) जग्गा है । यी देवता अब [[नेपाल]] के डोटी बोगटानमे विराजमान है । डोटी मे बि देवताका नाच्ने स्थान ऐसे है । [[File:Kartikeya Mandir Baijnath.jpg|thumb| कार्तिकेय (मोहन्याल)देवताका प्राचीन मन्दिर बागेश्वर जिल्ला कुमाऊ बैजनाथ लिलाचौरी हाट ]][[File:Lilachauri Hat Kartiekyapur Kumau.jpg|thumb|बैजनाथ के लिलाचौरी हाटका कार्तिकेयगण के देवता के धामी नाच्ने स्थान प्रयोग बिहिन]] [[File:Mohanyal Doti.jpg|thumb|Doti Nepal/कार्तिकेय (मोहन्याल)के धामी ]][[File:Kartikeya Gadi Aladi Doti Nepal.jpg|thumb| डोटी बोगटानके कार्तिकेय (मोहन्याल)गणके देवताका धामी नाच्ने गादी अलाड़ी डोटी<ref name= " कत्युरी वंशज लालबहादुर बम रजवार के संकलन फोटो नेपाल "> डोटी अलाडी मोहन्याल जांत मे धामी(मोहन्याल,,बेताल, अलडा) पुछ बसे हुआ फोटो </ref> ]] [[File:Manikot Mohanyal Dewata.jpg|thumb|डोटी बोगटानके कार्तिकेय (मोहन्याल)गणके देवताका धामीनाच्ने गादी मानिकोट डोटी<ref name= " कत्युरी वंशज same 2 लालबहादुर बम रजवार के संकलन फोटो नेपाल "> डोटी मानीकोट मोहन्याल देवताका धामी नाच्ने गादी मोहन्याल,,बेताल, अलडा मानिकोट डोटी बोगटान फोटो, </ref> ]]
==देवता का अवतार होना ==
कार्तिकेय देवता प्राप्ति के सुरुवात्मे राजा मे ये देवता अवतार होता था । [[जोशीमठ]] व [[बैजनाथ]] के रणचुलाकोट होना का कालखण्ड मे कार्तिकेयपुरी राजा मे कार्तिकेय देवता अवतार होता था उसी कारण रणचुला कोट को देवताका कोट भी बताते है । जब डोटी आए तो रैका से युद्द का कालखण्ड था देख्ने आदमी भी कहने लगे राजा देवता अवतार होके नाच्ने लगे रैती दुनिया देख्ने लगे ये उल्टा होगै अब राजा देख्ना चाहिय रैती दुनिया नाचना चाहिय जैसा बात समाज मे आनेका बाद राजाका बि क्रधिच्ल्ला के वंशज रैका से युद्द कर्ने के लिय युद्द्के [[रणभूमि]] मे जुट्ना था उसिसे राजाका[[राजा]]का गोत्र [[शौनक]] दान कर के ताड़ी, बोहरा लोगको ये देवताका धामी भारंडी होना शौप हुवा है । अब डोटी बोगटान के [[कत्यूरी राजवंश]] के बम [[रजवार]] लोग रमिता देखते है [[देवता]]का सम्मान ग्रहण करके एक स्थान मे वैठ के निर्णय देते है । गैर राजपुत ये देवताका धामी भारंडी हो के कार्य करते है ।
 
==वैदिक देवताऔ का भूगोल==