"धर्म के लक्षण": अवतरणों में अंतर

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याज्ञवल्क्य
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: '''अहिंसा सत्‍यमस्‍तेयं शौचमिन्‍द्रियनिग्रह:।'''
: '''दानं दमो दया शान्‍ति: सर्वेषां धर्मसाधनम्‌।। (याज्ञवल्क्य स्मृति १.१२२)'''
''(अहिंसा, सत्य, चोरी न करना (अस्तेय), शौच (स्वच्छता), इन्द्रिय-निग्रह (इन्द्रियों को वश में रखना), दान, संयम (दम), दया एवं शान्ति)''