"आर्य": अवतरणों में अंतर
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== आर्य और आर्य समाज ==
आज के युग में आर्यों से भिन्न एक गुट की स्थापना [[दयानन्द सरस्वती]] जी के द्वारा हुई है। उनका कार्य है भारत को वेदों की ओर लौटाना। वे ईश्वर के अद्वैत तथा अजन्मा सत्ता को स्वीकारकर कृष्णादि के ईश्वरत्व को न मानते हुए उन्हें महापुरुष की संज्ञा देते हैं तथा [[पुराण|पौराणिक]] तथ्यों को पूर्णतया नकारते हैं<ref>पुस्तक "सत्यार्थ प्रकाश लेखक दयानन्द सरस्वती</ref>। हालांकि महर्षि दयानन्द जी के युग में ही उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत यथा पुराण कल्पना तथा अवैदिक हैं, का खण्डन हो चुका है।<ref>पुस्तक "वैदिकधर्मसत्यार्थप्रकाश" लेखक श्री शिवरामकृष्णशर्मा</ref> अतः यहाँ से आर्यों के मत का दो भाग हो गया। एक जो पुराण तथा वेद और ईश्वर के साकार निराकार दोनो सत्ताओं को मानने वाले तथा दूसरे केवल वेद और निराकार सत्ता को मानने वाले।
== इन्हें भी देंखे==
* [[सिन्धु घाटी की सभ्यता]]
* [[वेद]]
* [[आर्यन प्रवास सिद्धांत]]
* [[आर्य वंश]]
== सन्दर्भ ==
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