"जैन धर्म": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 158:
=== चार कषाय ===
क्रोध, मान, माया, लोभ यह चार कषाय है जिनके कारण कर्मों का आस्रव होता है।
इन चार कषाय को संयमित रखने के लिए माध्यस्थता, करुणा, प्रमोद, मैत्री भाव धारण करना चहिये |
 
=== चार गति ===