"राणा सांगा": अवतरणों में अंतर

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'''राणा सांगा''' ('''राणा संग्राम सिंह''') (१२ अप्रैल १४८४ - १७ मार्च १५२७) (राज 1509-1528) [[उदयपुर]] में [[शिशोदिया राजवंश|सिसोदिया राजपूत राजवंश]] के राजा थे तथा [[राणा रायमल]] के सबसे छोटे पुत्र थे |
 
राणा रायमल के तीनों पुत्रों ( [[कुंवर पृथ्वीराज]], जगमाल तथा राणा सांगा ) में मेवाड़ के सिंहासन के लिए संघर्ष प्रारंभ हो जाता है | एक भविष्यकर्त्ता के अनुसार सांगा को मेवाड़ का शासक बताया जाता है ऐसी स्थिति में कुंवर पृथ्वीराज व जगमाल अपने भाई राणा सांगा को मौत के घाट उतारना चाहते थे परंतु सांगा किसी प्रकार यहाँ से बचकर अजमेर पलायन कर जाते हैं तब '''सन् 1509 में अजमेर के कर्मचन्द पंवार की सहायता से राणा सांगा [[मेवाड़]] राज्य प्राप्त हुुुआ |'''
 
= परिचय =
<ref>{{Cite web|url=http://hihindi.com/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-maharana-sanga-history-hindi/|title=राणा सांगा का इतिहास {{!}} Maharana Sanga History In Hindi|last=|first=|date=|website=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref> महाराणा संग्राम सिंह, महाराणा कुंभा के बाद, कहानी के नाम से प्रसिद्ध हैं। मेवाड़ में सबसे महत्वपूर्ण शासक। उसने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया और उसके तहत राजपूताना के सभी राजाओं को संगठित किया। रायमल की मृत्यु के बाद, 1509 में, राणा सांगा मेवाड़ के महाराणा बन गए। सांगा ने अन्य राजपूत सरदारों के साथ सत्ता का आयोजन किया।
 
राणा सांगा ने [[मेवाड़]] में 1509 से 1528 तक शासन किया, जो आज भारत के राजस्थान प्रदेश के रेगिस्थान में स्थित है। राणा सांगा ने विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध सभी राजपूतों को एकजुट किया। राणा सांगा सही मायनों में एक बहादुर योद्धा व शासक थे जो अपनी वीरता और उदारता के लिये प्रसिद्ध हुये।