"सैयद वंश": अवतरणों में अंतर

छो →‎सन्दर्भ: clean up, replaced: |trans_title= → |trans-title= (2) AWB के साथ
→‎कालक्रम: 14010 सन लिखा हुआ था उसे हमने 1410किया है जो कि सही है
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 60:
==कालक्रम==
;ख़िज्र खाँ:
खिज्र खाँ, सैयद वंश के संस्थापक थे।<ref>कृपाल चन्द्र यादव, पृ॰ ३७</ref> वो फिरोजशाह तुगलक के अमीर मलिक मर्दान दौलत के दतक पुत्र सुलेमान का पुत्र थे। तैमूर ने वापस लौटते समय उन्हें रैयत-ए-आला की उपाधि के साथ मुल्तान, लाहौर और दीपालपुर का शासक नियुक्त किया था।<ref>मनोज कुमार शर्मा, पृ॰ १४२</ref> उन्होंने तैमूर वंश की सहायता से दिल्ली की सत्ता सन् १४१४ में प्राप्त की और जीवन भर रैयत-ए-आला की उपाधि के साथ सन्तुष्ट रहे।<ref>एम॰ हसन, पृ॰ २३८</ref> उन्हें तैमूर ने भारत में अपने प्रतिनिधि के रूप में मुल्तान में नियुक्त कर रखा था। सन् १४०१०१४१० में मुल्तान से सेना लेकर उन्होंने तुगलक वंश पर हमला किया और छः माह में रोहतक पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। इस समय दिल्ली सल्तनत पर मोहम्मद शाह तुगलक का शासन था। सन् १४१३ में मोहम्मद शाह का निधन हो गया। मोहम्मद शाह के कोई पुत्र नहीं था और न ही पहले से कोई तुगलक उत्तराधिकारी घोषित था अतः दिल्ली में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई। इस समय के लिए दौलत खान लोदी को दिल्ली की सता सौंपी गयी। मार्च १४१४ में खिज्र खाँ ने दिल्ली पर हमला कर दिया और चार माह में जीत दर्ज करते हुये दिल्ली पर अपना शासन आरम्भ कर दिया।<ref>एम॰ हसन, पृ॰ २३७</ref>
;मुबारक शाह:
खिज्र खाँ की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनका पुत्र मुबारक शाह ने दिल्ली की सत्ता अपने हाथ में ली। अपने पिता के विपरीत उन्होंने अपने आप को सुल्तान के रूप में घोषित किया।<ref>एम॰ हसन, पृ॰२४०</ref>