"सीता और गीता": अवतरणों में अंतर

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| starring = [[हेमा मालिनी]], <br/> [[धर्मेन्द्र]], <br/> [[संजीव कुमार]], <br/> [[मनोरमा (अभिनेत्री)|मनोरमा]], <br/> [[रूपेश कुमार]]
| screenplay =
| cinematography = के॰ वैकुंथ
| editing = एम॰ एस॰ शिंदे
| runtime = 166 मिनट
| released = 17 नवम्बर, 1972
| country = [[भारत]]
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'''सीता और गीता''' 1972 में बनी हिन्दी भाषा की हास्य नाट्य फिल्म है। इसमें [[हेमा मालिनी]] दोहरी भूमिका में है। [[सलीम-जावेद]] ([[सलीम ख़ान]] और [[जावेद अख्तर]]) द्वारा लिखित कहानी और पटकथा के साथ, यह [[रमेश सिप्पी]] द्वारा निर्देशित है। इसमें [[आर॰ डी॰ बर्मन]] द्वारा संगीत दिया गया है। कहानी जुड़वाँ लड़कियों (हेमा मालिनी द्वारा अभिनीत) के बारे में है जो जन्म के समय अलग हो जाती हैं और विभिन्न स्वभावों के साथ बड़ी होती हैं। बाद में दोनों आपस में अपनी जगह बदल लेती हैं। फिल्म में हेमा मालिनी के दो साथियों को [[धर्मेन्द्र]] और [[संजीव कुमार]] द्वारा चित्रित किया गया है। [[मनोरमा (अभिनेत्री)|मनोरमा]] ने दुष्ट चाची की भूमिका निभाई।
 
इस विषय को अन्य फिल्मों में इससे पहले और बाद में दोहराया गया है। इस विषय पर पहले की फिल्म दिलीप कुमार की दोहरी भूमिका वाली ''[[राम और श्याम (1967 फ़िल्म)|राम और श्याम]]'' (1967) थी। इसके बाद की इस कहानी के हिन्दी रीमेक बनाए गए हैं, जिसमें [[जितेन्द्र]] अभिनीत ''[[जैसे को तैसा (1973 फ़िल्म)|जैसे को तैसा]]'' (1973), [[श्रीदेवी]] अभिनीत ''[[चालबाज़ (1989 फ़िल्म)|चालबाज़]]'' (1989), [[अनिल कपूर]] अभिनीत ''[[किशन कन्हैया]]'' (1990), [[सलमान खान]] अभिनीत ''[[जुड़वा (1997 फ़िल्म)|जुड़वा]]'' (1997) शामिल हैं।
 
== कथानक ==
{{कहानी}}
'सीता और गीता' दो जुड़वाँ बहनों ([[हेमा मालिनी]] अभिनीत दोहरी भूमिका) की कहानी है। फिल्म के आरंभ में ही शिरडी से लौटते हुए एक दंपति रास्ते में एक गरीब व्यक्ति से निवेदन करते हैं कि वे रात भर के लिए उन्हें आसरा दे दें क्योंकि उनकी पत्नी को बच्चा होने वाला है और वे रास्ते में फँस गये हैं। उसी गरीब व्यक्ति के घर डॉक्टर के आने से पहले ही बच्ची का जन्म हो जाता है। जब वह दंपति अपनी बच्ची को लेकर चलने लगते हैं और आसरा देने वाले उस व्यक्ति को कुछ रुपए देने लगते हैं तो वह व्यक्ति उन्हें प्रार्थना करने के लिए कहता है कि उनके घर भी संतान का जन्म हो। इस पर उस नन्हीं बच्ची के पिता कहते हैं कि यदि उन्हें जुड़वाँ संतान हुई होती तो वे एक बच्ची उन्हें जरूर दे देते। उनके जाने के बाद उस गरीब व्यक्ति की पत्नी उन्हें नन्हीं नवजात बच्ची दिखलाती है और तब उन्हें पता चलता है कि वस्तुतः उस दंपति को जुड़वाँ बच्ची ही पैदा हुई थी जिसमें से एक बच्ची को उसकी पत्नी ने छुपा लिया है। इस प्रकार एक बच्ची उस गरीब बंजारे के घर पलती है और बड़ी होकर बंजारे का खेल दिखलाती है। उसका नाम है गीता। दूसरी ओर दूसरी बच्ची अपने माता-पिता के घर पलती है। फिल्म में उसके माता-पिता के दिवंगत हो जाने की सूचना उनके चित्र पर टँगी माला से दी जाती है और आरंभ से ही बड़ी हुई सीता नामक उस बच्ची पर उसकी चाची के जुल्मों सितम दिखलाये जाते हैं। उसके पिता अपने निधन से पूर्व अपने वकील मित्र गुप्ता जी को अपनी संपत्ति का ट्रस्टी बनाकर अपनी सारी जायदाद गीता के नाम करके जाते हैं, इस निर्देश के साथ कि जब तक सीता की शादी न हो जाए तब तक उस संपत्ति से अर्जित पाँच हजार रुपये प्रतिमाह वकील गुप्ता जी सीता को देते रहेंगे। वकील साहब के आने पर सीता की चाची उसकी अच्छी तरह देखरेख करने का ढोंग करती है और उनके जाते ही रुपए झपट कर उस पर जुल्मों सितम जारी रखती है। इधर गीता अपने बंजारे टोले के एक बंजारे राका ([[धर्मेन्द्र]]) और एक बालक टीना के साथ बंजारों का खेल दिखाकर रुपए कमाती है। वह रस्सी पर चलती है और विभिन्न तरह के करिश्मे दिखाती है। उसे न तो ठीक से बातें करने की तमीज है और न ही घर का कोई काम करने का ढंग। एक दिन उसकी माँ उसे सब्जी लाने भेजती है और वह बच्चों के साथ कंचा खेलने लगती है। राका विनोद पूर्वक यह बात उसकी माँ से बताता है और उसकी माँ जाकर उसे झाड़ू से पीटती है, हालाँकि वास्तव में वह उसे बहुत लाड़ प्यार करती रहती है। परंतु, तात्कालिक पिटाई से बातों-बातों में ही गीता भाग जाती है।
 
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== फिल्मफेयरनामांकन और पुरस्कार==
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[[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार]] - [[हेमा मालिनी]]
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! width=20%|प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति
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| [[हेमा मालिनी]]
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| [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार]] - [[हेमा मालिनी]]
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== बाहरी कड़ियाँ ==