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एक मत है कि, शक् युग उज्जैन, मालवा के राजा विक्रमादित्य के वंश पर शकों की जीत के साथ शुरु हुआ।राजा शालीवाहन को वरदान था कि वे किसी भी मिट्टी की मूरत को जीवित कर सकते थे उन्होंने मिट्टी की सेना बना कर उसे छिपा दिया था इन्द्र देव ने कई प्रयास किए सेना को नस्ट करने के लिए पर पूर्ण सफलता नहीं मिली । युद्ध के लिए राजा ने मिट्टी की सेना पर पानी के छीटें डालकर उसे जीवित कर लिया और विजय का विगुल बाजा दिया । इस जीत के बाद, शकों ने उस पश्चिमी क्षत्रप राज्य की स्थापना की जिसने तीन से अधिक सदियों तक इस क्षेत्र पर शासन किया।उनका पालन पोषण कुम्हार के घर हुआ था पर वे कुम्हार नहीं थे वर्तमान में उनका एक वंश वर्दिया के नाम से जाना जाता है जो कि विशुद्ध कुम्हार है अर्थात् इन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाना प्रारंभ कर दिया था परन्तु वास्तविक रूप से ये क्षत्रिय है ये मुख्य रूप से महाराष्ट्र,अहमदाबाद ,गुजरात , मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि में निवास करते है [[सदस्य:Royal vardia|Royal vardia]] ([[सदस्य वार्ता:Royal vardia|वार्ता]]) 17:03, 30 दिसम्बर 2018 (UTC)
 
== स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ==
 
स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती परमपूज्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के शिष्य प्रतिनिधि और परमधर्मसंसद् 1008 के प्रवर धर्माधीश हैं ।
[[सदस्य:अविमुक्तेश्वरानन्दः|अविमुक्तेश्वरानन्दः]] ([[सदस्य वार्ता:अविमुक्तेश्वरानन्दः|वार्ता]]) 23:32, 30 दिसम्बर 2018 (UTC)
 
== परमधर्मसंसद् 1008 ==
 
परमधर्मसंसद् 1008 सनातन वैदिक हिन्दू धर्म के सौ करोड़ से भी अधिक अनुयायियों की सर्वोच्च मार्गदर्शक संस्था है। जिसकी स्थापना पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के आदेशानुसार उनके शिष्य प्रतिनिधि दण्डी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने किया है ।
संस्था का गठन स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती न्यासः के अन्तर्गत किया गया है तथा इसका मुख्यालय धर्म की राजधानी काशी में रखा गया है ।
यह अनुभव किया गया कि वेदों में प्रतिपादित धर्म के अनुयायियों की संख्या तो बहुत है पर उनका नेतृत्व उन तथाकथित हिन्दुओं के हाथ में चला गया है जो हिन्दू को धर्म ही नहीं मानते । वेदादि शास्त्रों में आस्था नहीं रखते । और धर्म का राजनीति के लिये प्रयोग कर रहे हैं ।
 
अतः सवा सौ करोड़ से अधिक सनातन धर्मी हिन्दू समाज का स्वस्थ मार्गदर्शन करने की भावना से यह परमधर्मसंसद् 1008 स्थापित की गई है । [[सदस्य:अविमुक्तेश्वरानन्दः|अविमुक्तेश्वरानन्दः]] ([[सदस्य वार्ता:अविमुक्तेश्वरानन्दः|वार्ता]]) 23:41, 30 दिसम्बर 2018 (UTC)
 
 
 
परमधर्मसंसद् 1008 का पहला सम्मिलन 2075 विक्रमी मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया से पंचमी तक अर्थात् 25_26_27नवम्बर 2018 को काशी के सीर गोवर्धन स्थान में सम्पन्न हुआ । [[सदस्य:अविमुक्तेश्वरानन्दः|अविमुक्तेश्वरानन्दः]] ([[सदस्य वार्ता:अविमुक्तेश्वरानन्दः|वार्ता]]) 23:48, 30 दिसम्बर 2018 (UTC)
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