"जम्मू और कश्मीर": अवतरणों में अंतर

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'''जम्मू और कश्मीर''' [[भारत]] के सबसे उत्तर में स्थित राज्य है। [[पाकिस्तान]] इसके उत्तरी इलाके ("[[पाक अधिकृत कश्मीर]]") या तथाकथित "[[आज़ाद कश्मीर]]" के हिस्सों पर क़ाबिज़ है, जबकि [[चीन]] ने [[अक्साई चिन]] पर कब्ज़ा किया हुआ है।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/news/world-south-asia-16069078|title=Kashmir profile Timeline}}</ref> भारत इन कब्ज़ों को अवैध मानता है जबकि पाकिस्तान भारतीय जम्मू और कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता है। राज्य की आधिकारिक भाषा [[उर्दू]] है।
 
[[जम्मू|जम्मू नगर]] जम्मू प्रांत का सबसे बड़ा नगर तथा जम्मू-कश्मीर राज्य की जाड़े की [[राजधानी]] है। वहीं कश्मीर में स्थित [[श्रीनगर]] गर्मी के मौसम में राज्य की राजधानी रहती है। जम्मू और कश्मीर में [[जम्मू]] ([[पूंछ]] सहित), [[कश्मीर]], [[लद्दाख]], [[बल्तिस्तान]] एवं [[गिलगित]] के क्षेत्र सम्मिलित हैं। इस राज्य का पाकिस्तान अधिकृत भाग को लेकर क्षेत्रफल 2,22,236 वर्ग कि॰मी॰ एवं उसे 1,38,124 वर्ग कि॰मी॰ है। यहाँ के निवासियों अधिकांश [[मुसलमान]] हैं, किंतु उनकी रहन-सहन, रीति-रिवाज एवं संस्कृति पर [[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] की पर्याप्त छाप है। कश्मीर के सीमांत क्षेत्र [[पाकिस्तान]], [[अफ़ग़ानिस्तान|अफगानिस्तान]], सिंक्यांग तथा तिब्बत से मिले हुए हैं। कश्मीर भारत का महत्वपूर्ण [[राज्य]] है।
 
== इतिहास ==
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1947 ई. में कश्मीर का विलयन भारत में हुआ। [[पाकिस्तान]] अथवा तथाकथित 'आजाद कश्मीर सरकार', जो पाकिस्तान की प्रत्यक्ष सहायता तथा अपेक्षा से स्थापित हुई, आक्रामक के रूप में पश्चिमी तथा उत्तरपश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिकृत हुए किए हैं। भारत ने यह मामला 1 जनवरी 1948 को ही [[राष्ट्रसंघ]] में पेश किया था किंतु अभी तक निर्णय खटाई में पड़ा है। उधर [[लद्दाख]] में [[चीन]] ने भी लगभग 12,000 वर्ग मील क्षेत्र अधिकार जमा लिया है।
 
आज़ादी के समय कश्मीर में पाकिस्तान ने घुसपैठ करके कश्मीर के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया। बचा हिस्सा भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का अंग बना। हिन्दू और मुस्लिम संगठनों ने साम्पदायिक गठबंधन बनाने शुरु किये। साम्प्रदायिक दंगे 1931 (और उससे पहले से) से होते आ रहे थे। [[नेशनल कांफ़्रेस]] जैसी पार्टियों ने राज्य में मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर ज़ोर दिया और उन्होंने [[जम्मू]] और [[लद्दाख]] क्षेत्रों की अनदेखी की। स्वतंत्रता के पाँच साल बाद [[जनसंघ]] से जुड़े संगठन [[प्रजा परिषद]] ने उस समय के नेता शेख अब्दुल्ला की आलोचना की। शेख अब्दुल्ला ने अपने एक भाषण में कहा कि "प्रजा परिषद भारत में एक धार्मिक शासन लाना चाहता है जहाँ मुस्लमानों के धार्मिक हित कुचल दिये जाएंगे।" उन्होने अपने भाषण में यह भी कहा कि यदि जम्मू के लोग एक अलग [[डोगरा]] राज्य चाहते हैं तो वे कश्मीरियों की तरफ़ से यह कह सकते हैं कि उन्हें इसपर कोई ऐतराज नहीं।
 
जमात-ए-इस्लामी के राजनैतिक टक्कर लेने के लिए शेख अब्दुल्ला ने खुद को मुस्लिमों के हितैषी के रूप में अपनी छवि बनाई। उन्होंने जमात-ए-इस्लामी पर यह आरोप लगाया कि उसने जनता पार्टी के साथ गठबंधन बनाया है जिसके हाथ अभी भी मुस्लिमों के खून से रंगे हैं। 1977 से कश्मीर और जम्मू के बीच दूरी बढ़ती गई।
 
१९८४ के चुनावों से लोगों - खासकर राजनेताओं - को ये सीख मिली कि मुस्लिम वोट एक बड़ी कुंजी है। प्रधानमंत्री [[इंदिरा गाँधी]] के [[जम्मू]] दौरों के बाद फ़ारुख़ अब्दुल्ला तथा उनके नए साथी मौलवी मोहम्मद फ़ारुख़ (मीरवाइज़ उमर फ़ारुख़ के पिता) ने कश्मीर में खुद को मुस्लिम नेता बताने की छवि बनाई। मार्च 1987 में स्थिति यहाँ तक आ गई कि श्रीनगर में हुई एक रैली में [[मुस्लिम युनाईटेड फ़्रंट]] ने ये घोषणा की कि कश्मीर की मुस्लिम पहचान एक धर्मनिरपेक्ष देश में बची नहीं रह सकती। इधर जम्मू के लोगों ने भी एक क्षेत्रवाद को धार्मिक रूप देने का काम आरंभ किया। इसके बाद से राज्य में इस्लामिक जिहाद तथा साम्प्रदायिक हिंसा में कई लोग मारे जा चुके हैं।
 
== विवाद ==
[[चित्र:Maitreya Buddha the next Buddha.jpg|thumb|150px|right|थिकसे मठ लद्दाख में बुद्ध प्रतिमा का चेहरा]]
भारत की स्वतन्त्रता के समय [[महाराज हरि सिंह]] यहाँ के शासक थे, जो अपनी रियासत को स्वतन्त्र राज्य रखना चाहते थे। [[शेख़ अब्दुल्ला]] के नेतृत्व में मुस्लिम कॉन्फ़्रेंस (बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस) कश्मीर की मुख्य राजनैतिक पार्टी थी। कश्मीरी पंडित, [[शेख़ अब्दुल्ला]] और राज्य के ज़्यादातर मुसल्मान कश्मीर का भारत में ही विलय चाहते थे (क्योंकि भारत धर्मनिर्पेक्ष है)। पर पाकिस्तान को ये बर्दाश्त ही नहीं था कि कोई मुस्लिम-बहुमत प्रान्त भारत में रहे (इससे उसके दो-राष्ट्र सिद्धान्त को ठेस लगती थी)। इस लिये 1947-48 में पाकिस्तान ने कबाइली और अपनी छद्म सेना से कश्मीर में आक्रमण करवाया और क़ाफ़ी हिस्सा हथिया लिया।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india-41766767|title=कबायली हमलावर थे या मुसलमानों की हिफ़ाज़त के लिए आए थे?}}</ref>
 
उस समय प्रधानमन्त्री [[जवाहरलाल नेहरू]] ने [[मोहम्मद अली जिन्नाह]] से विवाद जनमत-संग्रह से सुलझाने की पेशक़श की, जिसे जिन्ना ने उस समय ठुकरा दिया क्योंकि उनको अपनी सैनिक कार्रवाई पर पूरा भरोसा था। महाराजा हरि सिंह ने शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से भारत में कुछ शर्तों के तहत विलय कर दिया। [[भारतीय सेना]] ने जब राज्य का काफ़ी हिस्सा बचा लिया था, तब इस विवाद को संयुक्त राष्ट्र में ले जाया गया। संयुक्तराष्ट्र महासभा ने उभय पक्ष के लिए दो करार (संकल्प) पारित किये :-
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* भारतीय संविधान के अन्तर्गत आज तक जम्मू कश्मीर में सम्पन्न अनेक चुनावों में कश्मीरी जनता ने वोट डालकर एक प्रकार से भारत में अपने स्थायी विलय को ही मान्यता दी है।
* कश्मीर का भारत में विलय ब्रिटिश "भारतीय स्वातन्त्र्य अधिनियम" के तहत क़ानूनी तौर पर सही था।
* पाकिस्तान अपनी भूमि पर आतंकवादी शिविर चला रहा है (ख़ास तौर पर 1989 से) और कश्मीरी युवकों को भारत के ख़िलाफ़ भड़का रहा है। ज़्यादातर [[आतंकवादी]] स्वयं पाकिस्तानी नागरिक या [[तालिबान आन्दोलन|तालिबानी]] अफ़ग़ान ही हैं। ये और कुछ दिग्भ्रमित कश्मीरी युवक मिलकर इस्लाम के नाम पर भारत के ख़िलाफ़ छेड़े हुए हैं।
* राज्य को संविधान के [[अनुच्छेद 370]] के तहत स्वायत्तता प्राप्त है।
 
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भारत के संवैधानिक प्रावधान स्वतः जम्मू तथा कश्मीर पर लागू नहीं होते। केवल वही प्रावधान जिनमें स्पष्ट रूप से कहा जाए कि वे जम्मू कश्मीर पर लागू होंगे, उस पर लागू होते हैं। जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति का ज्ञान इन तथ्यों से होता है-
 
1. [[जम्मू कश्मीर संविधान]] सभा द्वारा निर्मित राज्य संविधान से वहाँ का कार्य चलता है। यह संविधान जम्मू कश्मीर के लोगों को राज्य की नागरिकता भी देता है। केवल इस राज्य के नागरिक ही संपत्ति खरीद सकते हैं या चुनाव लड़ सकते हैं या सरकारी सेवा ले सकते हैं।
 
2. [[भारतीय संसद]] जम्मू कश्मीर से संबंध रखने वाला ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती है जो इसकी राज्य सूची का विषय हो।
 
3. अवशेष शक्ति [[जम्मू और कश्मीर विधानसभा|जम्मू कश्मीर विधान सभा]] के पास होती है।
 
4. इस राज्य पर [[सशस्त्र विद्रोह]] की दशा में या [[वित्तीय संकट]] की दशा में आपात काल लागू नहीं होता है।
 
5. भारतीय संसद राज्य का नाम क्षेत्र सीमा बिना राज्य विधायिका की स्वीकृति के नहीं बदलेगी।
 
6. [[राज्यपाल (भारत)|राज्यपाल]] की नियुक्ति [[राष्ट्रपति (भारत)|राष्ट्रपति]] राज्य [[मुख्यमन्त्री (भारत)|मुख्यमंत्री]] की सलाह के बाद करेंगे।
 
7. संसद द्वारा पारित निवारक निरोध नियम राज्य पर अपने आप लागू नहीं होगा।
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# सुदूर बृहत्‌ मध्य पर्वतश्रेणियाँ जिनमें लद्दाख, बल्तिस्तान एवं गिलगित के क्षेत्र सम्मिलित हैं।
 
कश्मीर का अधिकांश भाग [[चनाब नदी|चिनाव]], [[झेलम नदी|झेलम]] तथा [[सिन्धु नदी|सिंधु नदी]] की घाटियों में स्थित है। केवल मुज़ताघ तथा [[काराकोरम|कराकोरम]] पर्वतों के उत्तर तथा उत्तर-पूर्व के निर्जन तथा अधिकांश अज्ञात क्षेत्रों का जल मध्यएशियामध्य एशिया की ओर प्रवाहित होता है। लगभग तीन चौथाई क्षेत्र केवल सिंधु नदी की घाटी में स्थित है। जम्मू के पश्चिम का कुछ भाग [[रावी नदी]] की घाटी में पड़ता है। पंजाब के समतल मैदान का थोड़ा सा उत्तरी भाग जम्मू प्रांत में चला आया है। चिनाव घाटी में किश्तवाड़ तथा भद्रवाह के ऊँचे पठार एवं नीची पहाडियाँ (कंडी) और मैदानी भाग पड़ते हैं। झेलम की घाटी में कश्मीर घाटी, निकटवर्ती पहाड़ियाँ एवं उनके मध्य स्थित सँकरी घाटियाँ तथा [[बारामूला]]-[[किशनगंगा नदी|किशनगंगा]] की संकुचित घाटी का निकटवर्ती भाग सम्मिलित है। सिंधु नदी की घाटी में ज़ास्कर तथा रुपशू सहित [[लद्दाख़|लद्दाख]] क्षेत्र, [[बल्तिस्तान]], अस्तोद एवं [[गिलगित]] क्षेत्र पड़ते हैं। उत्तर के अर्धवृत्ताकार पहाड़ी क्षेत्र में बहुत से ऊँचे दर्रे हैं। उसके निकट ही [[नंगा पर्वत]] (26,182 फुट) है। [[पंजाल पर्वत]] का उच्चतम शिखर 15,523 फुट ऊँचा है।
 
झेलम या बिहत, [[वैदिक काल]] में '[[वितस्ता]]' तथा यूनानी इतिहासकारों एवं भूगोलवेत्ताओं के ग्रंथों में 'हाईडसपीस' के नाम से प्रसिद्ध है। यह नदी वेरिनाग से निकलकर कश्मीरघाटी से होती हुई बारामूला तक का 75 मील का प्रवाहमार्ग पूरा करती है। इसके तट पर अनंतनाग, श्रीनगर तथा बारामूला जैसे प्रसिद्ध नगर स्थित हैं। [[राजतरंगिणी]] के वर्णन से पता चलता है कि प्राचीन काल में कश्मीर एक बृहत्‌ झील था जिसे ब्रह्मासुत मारीचि के पुत्र कश्यप ऋषि ने बारामूला की निकटवर्ती पहाड़ियों को काटकर प्रवाहित कर दिया। इस क्षेत्र के निवासी नागा, गांधारी, खासा तथा द्रादी कहलाते थे। खासा जाति के नाम पर ही कश्मीर (खसमीर) का नामकरण हुआ है, परीपंजाल तथा हिमालय की प्रमुख पर्वतश्रेणियों के मध्य स्थित क्षेत्र को कश्मीर घाटी कहते हैं। यह लगभग 85 मील लंबा तथा 25 मील चौड़ा बृहत्‌ क्षेत्र है। इस घाटी में चबूतरे के समान कुछ ऊँचे समतल क्षेत्र मिलते हैं जिन्हें करेवा कहते हैं। धरातलीय दृष्टि से ये क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
 
कश्मीर घाटी में जल की बहुलता है। अनेक नदी नालों और सरोवरों के अतिरिक्त कई झीलें हैं। वुलर मीठे पानी की [[भारतवर्ष]] में विशालतम झील है। कश्मीर में सर्वाधिक मछलियाँ इसी झील से प्राप्त होती हैं। स्वच्छ जल से परिपूर्ण डल झील तैराकी तथा नौकाविहार के लिए अत्यंत रमणीक है। तैरते हुए छोटे-छोटे खत सब्जियाँ उगाने के व्यवसाय में बड़ा महत्व रखते हैं। कश्मीर अपनी अनुपम सुषमा के कारण नंदनवन कहलाता है। [[भारतीय कवियों की सूची|भारतीय कवियों]] ने सदा इसकी सुंदरता का बखान किया है।
 
पीरपंजाल की श्रेणियाँ दक्षिण-पश्चिमी मानसून को बहुत कुछ रोक लेती हैं, किंतु कभी-कभी मानसूनी हवाएँ घाटी में पहुँचकर घनघोर वर्षा करती हैं। अधिकांश वर्षा वसंत ऋतु में होती है। वर्षा ऋतु में लगभग 9.7फ़फ़ तथा जनवरी-मार्च में 8.1फ़फ़ वर्षा होती है। भूमध्यसागरी चक्रवातों के कारण [[हिमालय]] के पर्वतीय क्षेत्र में, विशेषतया पश्चिमी भाग में, खूब हिमपात होता है। हिमपात अक्टूबर से मार्च तक होता रहता है। भारत तथा समीपवर्ती देशों में कश्मीर तुल्य स्वास्थ्यकर क्षेत्र कहीं नहीं है। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहाँ की जलवायु तथा वनस्पतियाँ भी पर्वतीय हैं।
 
कश्मीर घाटी की प्रसिद्ध फसल चावल है जो यहाँ के निवासियों का मुख्य भोजन है। मक्का, गेहूँ, जौ और जई भी क्रमानुसार मुख्य फसलें हैं। इनके अतिरिक्त विभिन्न फल एवं सब्जियाँ यहाँ उगाई जाती हैं। अखरोट, बादाम, नाशपाती, सेब, केसर, तथा मधु आदि का प्रचुर मात्रा में निर्यात होता है। कश्मीर केसर की कृषि के लिए प्रसिद्ध है। शिवालिक तथा मरी क्षेत्र में कृषि कम होती है। दून क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर अच्छी कृषि होती है। जनवरी और फरवरी में कोई कृषि कार्य नहीं होता। यहाँ की झीलों का बड़ा महत्व है। उनसे मछली, हरी खाद, सिंघाड़े, कमल एवं मृणाल तथा तैरते हुए बगीचों से सब्जियाँ उपलब्ध होती हैं। कश्मीर की मदिरा मुगल बादशाह बाबर तथा जहाँगीर की बड़ी प्रिय थी किंतु अब उसकी इतनी प्रसिद्धि नहीं रही। कृषि के अतिरिक्त, रेशम के कीड़े तथा भेड़ बकरी पालने का कार्य भी यहाँ पर होता है।
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इस राज्य में प्रचुर खनिज साधन हैं किंतु अधिकांश अविकसित हैं। कोयला, जस्ता, ताँबा, सीसा, बाक्साइट, सज्जी, चूना पत्थर, खड़िया मिट्टी, स्लेट, चीनी मिट्टी, अदह (ऐसबेस्टस) आदि तथा बहुमूल्य पदार्थों में सोना, नीलम आदि यहाँ के प्रमुख खनिज हैं।
 
श्रीनगर का प्रमुख उद्योग [[कश्मीरी शाल]] की बुनाई है जो [[बाबर]] के समय से ही चली आ रही है। [[कश्मीरी कालीन]] भी प्रसिद्ध औद्योगिक उत्पादन है। किंतु आजकल रेशम उद्योग सर्वप्रमुख प्रगतिशील धंधा हो गया है। चाँदी का काम, लकड़ी की नक्काशी तथा पाप्ये-माशे यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं। पर्यटन उद्योग कश्मीर का प्रमुख धंधा है जिससे राज्य को बड़ी आय होती है। लगभग एक दर्जन औद्योगिक संस्थान स्थापित हुए हैं परंतु प्रचुर औद्योगिक क्षमता के होते हुए भी बड़े उद्योगों का विकास अभी तक नहीं हो पाया है।
 
पर्वतीय धरातल होने के कारण यातायात के साधन अविकसित हैं। पहले बनिहाल दर्रे (9,290 फुट) से होकर जाड़े में मोटरें नहीं चलती थीं किंतु दिसंबर, 1956 ई. में बनिहाल सुरंग के पूर्ण हो जाने के बाद वर्ष भर निरंतर यातायात संभव हो गया है। [[पठानकोट]] द्वारा [[श्रीनगर]] का नई दिल्ली से नियमित हवाई संबंध है। अब पठानकोट से जम्मू तक रेल की भी सुविधा हो गई है। [[लेह]] तक भी जीप के चलने योग्य सड़क निर्मित हो गई है। वहाँ भी एक हवाई अड्डा है।
 
समुद्रतल से 5,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित [[श्रीनगर]] जम्मू-कश्मीर की राजधानी तथा राज्य का सबसे बड़ा नगर है। इस नगर की स्थापना सम्राट् [[अशोकवर्धन]] ने की थी। यह झेलम नदी के दोनों तट पर बसा हुआ है। [[डल झील]] तथा शालीमार, निशात आदि रमणीक बागों के कारण इस नगर की शोभा द्विगुणित हो गई है। अत: इसकी गणना एशिया के सर्वाधिक सुंदर नगरों में होती है। अग्निकांड, बाढ़ तथा भूकंप आदि से इस नगर को अपार क्षति उठानी पड़ती है। यहाँ के उद्योग धंधे राजकीय हैं। कश्मीर घाटी तथा श्रीनगर का महत्व इसलिए भी अधिक है कि हिमालय के पार जानेवाले रास्तों के लिए ये प्रमुख पड़ाव हैं।
 
सिंधु-कोहिस्तान क्षेत्र में नंगा पर्वत संसार के सर्वाधिक प्रभावशाली पर्वतों में से एक है। सिंधु के उस पार गिललित का क्षेत्र पड़ता है। [[रूस|रूसी]] प्रभावक्षेत्र से भारत को दूर रखने के हेतु अंग्रेजी सरकार ने कश्मीर के उत्तर में एक सँकरा क्षेत्र [[अफगानिस्तान]] के अधिकार में छोड़ दिया था। गिलगित तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत कम है। गिलगित से चारों ओर पर्वतीय मार्ग जाते हैं। यहाँ पर्वतक्षेत्रीय फसलें तथा सब्जियाँ उत्पन्न की जाती हैं। बृहत्‌ हिमालय तथा ज़ास्कर पर्वत-श्रेणियों के क्षेत्र में जनसंख्या कम तथा घुमक्कड़ी है। 15,000 फुट ऊँचाई पर स्थित [[कोर्जोक]] नामक स्थान संसार का उच्चतम कृषकग्राम माना जाता है। लद्दाख एवं बल्तिस्तान क्षेत्र में लकड़ी तथा ईधंन की सर्वाधिक आवश्यकता रहती है। बल्तिस्तान में अधिकांशत: मुसलमानों तथा लद्दाख में बौद्धों का निवास है। अधिकांश लोग घुमक्कड़ों का जीवन यापन करते हैं। इन क्षेत्रों का जीवन बड़ा कठोर है। कराकोरम क्षेत्र में श्योक से हुंजा तक के छोटे से भाग में 24,000 फुट से ऊँचे 33 पर्वतशिखर वर्तमान हैं। अत: उक्त क्षेत्र को ही, न कि [[पामीर]] को, 'संसार की छत' मानना चाहिए। अनेक कठिनाइयों से भरे इन क्षेत्रों से किसी समय [[तीर्थयात्रा]] के प्रमुख मार्ग गुजरते थे।
 
=== भूभाग का वर्गीकरण ===