"शारीरिक शिक्षा": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो Mukeshpraa (Talk) के संपादनों को हटाकर 2405:204:8502:D37:A5ED:616E:50BE:B52C के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 24:
 
पर निर्भर होती है। प्राचीन काल में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य मांसपेशियों को विकसित करके शारीरिक शक्ति को बढ़ाने तक ही सीमित था और इस सब का तात्पर्य यह था कि मनुष्य आखेट में, भारवहन में, पेड़ों पर चढ़ने में, लकड़ी काटने में, नदी, तालाब या समुद्र में गोता लगाने में सफल हो सके। किंतु शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य में भी परिवर्तन होता गया और शारीरिक शिक्षा का अर्थ शरीर के अवयवों के विकास के लिए सुसंगठित कार्यक्रम के रूप में होने लगा। वर्तमान काल में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अंतर्गत व्यायाम, खेलकूद, मनोरंजन आदि विषय आते हैं। साथ साथ वैयक्तिक स्वास्थ्य तथा जनस्वाथ्य का भी इसमें स्थान है। कार्यक्रमों को निर्धारित करने के लिए [[शरीररचना-विज्ञान|शरीररचना]] तथा [[शरीर क्रिया विज्ञान|शरीर-क्रिया-विज्ञान]], [[मनोविज्ञान]] तथा [[समाज विज्ञान]] के सिद्धान्तों से अधिकतम लाभ उठाया जाता है। वैयक्तिक रूप में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शक्ति का विकास और नाड़ी स्नायु संबंधी कौशल की वृद्धि करना है तथा सामूहिक रूप में सामूहिकता की भावना को जाग्रत करना है।
 
[https://www.adviserbird.com/2018/12/importance-education/ शिक्षा का महत्व]
 
== इतिहास ==