"सरदार हरि सिंह नलवा": अवतरणों में अंतर

→‎जीवन: इसमें जाति गलत बताई गई थी मेने उसे बदला क्योंकि उनके वंसज गुर्जर समाज से है और उनके गाँव का नाम गुर्जरो के नाम पर ही है.. इशलिये मेने जाट को गुर्जर में बदल दिया
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==जीवन==
हरि सिंह नलवा का जन्म 1791 में 28 अप्रैल को एक [[गुर्जरजाट]] [[सिक्ख]] परिवार में [[गुजरांवाला]] पंजाब में हुआ था। इनके पिता का नाम गुरदयाल सिंह और माँ का नाम धर्मा कौर था।<ref>Surinder Singh Johar (1982). Hari Singh Nalwa. Sagar. p. 13. "Hari Singh was born in 1791 to Dharam Kaur, wife of Sardar Gurdial Singh Uppal, a Kamedan in the army of Sardar Mahan Singh, father of Maharaja Ranjit Singh"</ref> बचपन में उन्हें घर के लोग प्यार से "हरिया" कहते थे। सात वर्ष की आयु में इनके पिता का देहांत हो गया। 1805 ई. के वसंतोत्सव पर एक प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में, जिसे महाराजा रणजीत सिंह ने आयोजित किया था, हरि सिंह नलवा ने भाला चलाने, तीर चलाने तथा अन्य प्रतियोगिताओं में अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय दिया। इससे प्रभावित होकर महाराजा रणजीत सिंह ने उन्हें अपनी सेना में भर्ती कर लिया। शीघ्र ही वे महाराजा रणजीत सिंह के विश्वासपात्र सेनानायकों में से एक बन गये।
 
===जंगल में बाघ से सामना===