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'''गुरु गोबिन्द सिंह''' (जन्म :
▲'''गुरु गोबिन्द सिंह''' (जन्म: २२ दिसम्बर १६६६, मृत्यु: ७ अक्टूबर १७०८) [[सिख धर्म|सिखों]] के [[सिखों के दस गुरु|दसवें गुरु]] थे। उनके पिता [[गुरू तेग बहादुर]] की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन १६९९ में [[बैसाखी]] के दिन उन्होने '''[[खालसा]]''' पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।
गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ '''[[गुरु ग्रंथ साहिब]]''' को पूरा किया तथा उन्हें [[गुरु]] रूप में सुशोभित किया। '''[[बिचित्र नाटक]]''' को उनकी [[आत्मकथा]] माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह '''[[दसम ग्रन्थ]]''' का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है।
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