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'''मेरा नाम जोकर''' 1970 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण [[राज कपूर]] ने किया और लेखन का कार्य [[ख़्वाजा अहमद अब्बास]] द्वारा किया गया। इसमें राज कपूर नामस्रोत किरदार में [[सिमी गरेवाल]], सेनिया रियाबिनकिना और [[पद्मिनी (फ़िल्म अभिनेत्री)|पद्मिनी]] के साथ हैं। ये उनके बेटे [[ऋषि कपूर]] की पहली फिल्म भी थी।
'''मेरा नाम जोकर''' 1970 में बनी [[हिन्दी भाषा]] की फिल्म है।
 
ये फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे लंबी फिल्मों में से एक है। ''[[संगम (फ़िल्म)|संगम]]'' के ब्लॉकबस्टर बन जाने के बाद, ''मेरा नाम जोकर'' के जारी होने की बहुत प्रतीक्षा थी, क्योंकि ये छः साल से निर्माणाधीन थी और आंशिक रूप से राज कपूर के स्वयं के जीवन पर आधारित थी। फिल्म को आंशिक रूप से [[सोवियत]] अभिनेताओं की भागीदारी के साथ बनाया गया था और कुछेक हिस्सों को [[मॉस्को]] में फिल्माया गया। फिल्म का संगीत, अभी भी बहुत लोकप्रिय है, [[शंकर-जयकिशन]] द्वारा तैयार किया गया था, जिसके लिए उन्हें नौवां [[फिल्मफेयर पुरस्कार]] मिला।
 
== संक्षेप ==
ये कहानी राजू नाम के एक जोकर की है, जिसे सर्कस का सबसे अच्छा जोकर समझा जाता है। राजू के पिता की मौत सर्कस में एक करतब दिखाते समय होती है, इस कारण राजू की माँ उसे कभी भी सर्कस में काम नहीं करने देती है। राजू ([[ऋषि कपूर]]) को बचपन में ही अपनी शिक्षिका, मेरी ([[सिमी गड़ेवालगरेवाल]]) से प्यार हो जाता है। पर वो उससे काफी बड़ी रहती है और उसकी शादी हो जाती है। इस कारण उसका दिल टूट जाता है पर उसे ये भी एहसास होता है कि वो पूरी दुनिया को हंसाने के लिए बना है।
 
बड़े होने के बाद राजू ([[राज कुमार]]) को जेमिनी सर्कस में काम मिल जाता है। वो सर्कस महेन्द्र सिंह ([[धर्मेन्द्र]]) का होता है, जो राजू के क्षमता को अच्छी तरह जानते रहता है और उसे काम पर रख लेता है। सर्कस में रूस से कलाकारों का एक समूह आता है, उनमें से एक लड़की, मरीना (क्सेनियासोनिया रियाबिंकीनारियाबिनकिना) से राजू को प्यार हो जाता है। राजू को लगते रहता है कि वे दोनों साथ रहेंगे, पर सर्कस के खत्म हो जाने के बाद मरीना वापस रूस चले जाती है, जिससे राजू का दिल फिर टूट जाता है। इसी दौरान सर्कस में राजू की माँ भी राजू के करतब देखते रहती है और उसे अपने पति के मौत याद आ जाती है, उसी तरह के करतब अपने बेटे को करते देख उसकी मौत हो जाती है।
 
अब राजू सर्कस छोड़ देता है और बिना किसी लक्ष्य के इधर उधर घूमते रहता है। उसकी मुलाक़ात मीनू ([[पद्मिनी (फ़िल्म अभिनेत्री)|पद्मिनी]]) से होती है, जो अनाथ लड़की है और एक प्रसिद्ध अभिनेत्री बनना चाहते रहती है। वे दोनों मिल कर छोटा सा सर्कस दिखाने लगते हैं और बाद में थियेटर में काम करने लगते हैं। वे दोनों काफी सफल हो जाते हैं और मीनू को फिल्म में काम करने का मौका भी मिल जाता है। वो अपने सपने को पूरा करने के लिए उसे छोड़ कर फिल्म में काम करने का फैसला करती है। इस तरह से राजू का तीसरी बार दिल टूट जाता है।
 
फिल्म के अंत में वो महेन्द्र से किए वादे के अनुसार अपना आखिरी करतब करता है। वो इसे दिखाने के लिए उन तीन लड़कियों को भी बुलाता है, जिससे उसने कभी प्यार किया था। वो दर्शकों को विश्वास दिलाता है कि वो फिर से आएगा और पहले से भी ज्यादा हँसाएगा।
 
== मुख्य कलाकार ==
* [[राज कपूर]] — राज 'राजू' रणबीर
* [[मनोज कुमार]] — डेविड
* [[सिमी गरेवाल]] — मैरी
* [[ओम प्रकाश]]
* [[ऋषि कपूर]] — बालक राजू
* [[धर्मेन्द्र]] — महेन्द्र
* [[दारा सिंह]] — शेर सिंह
* सोनिया रियाबिनकिना — मारिना
* [[पद्मिनी (फ़िल्म अभिनेत्री)|पद्मिनी]] — मीनू
* [[ओम प्रकाश]] — सर्कस कर्मचारी
* [[राजेन्द्रनाथ (हास्य अभिनेता)|राजेन्द्रनाथ]] — सर्कस कर्मचारी
* [[राजेन्द्र कुमार]] — स्वयंमेव
* [[अचला सचदेव]] — राजू की माँ
 
== संगीत ==