"समाज": अवतरणों में अंतर

सच कहूँ तो अब मुझे अपने ही समाज से नफरत होने लगी है। मैंने कुछ लोगो को अपने ही साथ अपने ही लोगो से मेरी झूठी तारीफ करते देखा है बस अपना वजन बढ़ाने के लिए। मेरे दोस्त तो बहोत थे उसमें ज्यादा ऐसे थे जिन्होंने मुझे समय और बटुआ देख के छोर दिया। अगर सच में कीमत इंशान की होती तो सायद आज में अकेला ना होता।मैने जब भी किसी का सहयोग किया सामने वला उसे अपना अधिकार समझ बैठा।साहब मेरा बचपना समझे या इंसानयत मैंने दुसरो के गलती पे भी उस का दिल नहीं तोरा।सायद यही वजह है की में एक अच्छा इंशान नहीं बन सका सायद...
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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2011}}
'''समाज''' एक से अधिक लोगों के समुदाय को कहते हैं जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रियाकलाप करते हैं।जो मानवीय क्रियाकलाप में आचरण, [[सामाजिक सुरक्षा]] और निर्वाह आदि की क्रियाएं सम्मिलित होती हैं। समाज लोगों का ऐसा समूह होता है जो अपने अंदर के लोगों के मुकाबले अन्य समूहों से काफी कम मेलजोल रखता है। किसी समाज के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति एक दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह तथा सहृदयता का भाव रखते हैं। दुनिया के सभी समाज अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए अलग-अलग रस्मों-रिवाज़ों का पालन करते हैं।सच कहूँ तो अब मुझे अपने ही समाज से नफरत होने लगी है। मैंने कुछ लोगो को अपने ही साथ अपने ही लोगो से मेरी झूठी तारीफ करते देखा है बस अपना वजन बढ़ाने के लिए। मेरे दोस्त तो बहोत थे उसमें ज्यादा ऐसे थे जिन्होंने मुझे समय और बटुआ देख के छोर दिया। अगर सच में कीमत इंशान की होती तो सायद आज में अकेला ना होता।मैने जब भी किसी का सहयोग किया सामने वला उसे अपना अधिकार समझ बैठा।साहब मेरा बचपना समझे या इंसानयत मैंने दुसरो के गलती पे भी उस का दिल नहीं तोरा।सायद यही वजह है की में एक अच्छा इंशान नहीं बन सका सायद में समाज के साँचे में ढल ना सका।कभी भूल ना सका अपने बाबूजी के संस्कारों को जो समय के साथ छोड़ देना चाहिए था। लेकिन मेरे पिता जी ने तो इस बात का जिक्र कभी भी किये ही नहीं की ये दुनिया इतना स्वार्थी है।इस समाज मे पढ़ाया कुछ और जाता है और दिखाया कुछ और देशभक्त को भगवाआतंकी ओर देशद्रोही को भारत का गांधी बताया जाता है। दिल से पूछो क्या ज़िंदगी इसी का नाम है सिर्फ दुसरो से जलने के लिए ही बने हो या तुम में भी किसी को जलाने का जुनून है।हैं।
 
== परिचय ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/समाज" से प्राप्त