"हुमायूँ": अवतरणों में अंतर

1526 to 1556
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बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूँ ने १५३० में भारत की राजगद्दी संभाली और उनके सौतेले भाई [[कामरान मिर्ज़ा]] ने [[काबुल]] और [[लाहौर]] का शासन ले लिया। बाबर ने मरने से पहले ही इस तरह से राज्य को बाँटा ताकि आगे चल कर दोनों भाइयों में लड़ाई न हो। कामरान आगे जाकर हुमायूँ के कड़े प्रतिद्वंदी बने। हुमायूँ का शासन [[अफ़गानिस्तान]], [[पाकिस्तान]] और उत्तर [[भारत]] के हिस्सों पर १५३०-१५४० और फिर १५५५-१५५६ तक रहा।
 
भारत में उन्होने [[शेरशाह सूरी]] शेरशाह ने इसे बेलग्राम के युद्ध में पराजित कर दिया था तथा उससे बात से निर्वासित होना पड़ा उसने निर्वासन का कुछ समय काबुल सिंध अमरकोट में बिताया अंत में ईरान के शासक तहमास्य के पास शरण ली । ईरान के शासक की मदद से उसने काबुल कंधार में मध्य एशिया के क्षेत्रों को जीता। उसने 1555 ई० में शेरशाह के कमजोर अधिकारियों को हराकर एक बार फिर दिल्ली आगरा पर अधिकार कर लिया। 1556 में उसकी मृत्यु हो गई इस के साथ ही, मुग़ल दरबार की संस्कृति भी मध्य एशियन से इरानी होती चली गयी।
 
हुमायूँ के बेटे का नाम जलालुद्दीन मुहम्मद [[अकबर]] था। हिमायू की मृत्यु के समय उसका इकलौता पुत्र अकबर पंजाब के कलानौर में था। उसे वहीं पर शासक घोषित कर दिया गया।