"मदनमोहन मालवीय": अवतरणों में अंतर

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== प्रारम्भिक जीवन एवं शिक्षा ==
मालवीयजी का जन्म [[प्रयाग]] में, जिसे स्वतन्त्र भारत में [[प्रयागराजprayagraj]] कहा जाता है, 25 दिसम्बर 1861 को पं० ब्रजनाथ व मूनादेवी के यहाँ हुआ था। वे अपने माता-पिता से उत्पन्न कुल सात भाई बहनों में पाँचवें [[पुत्र]] थे। [[मध्य भारत]] के [[मालवा]] प्रान्त से प्रयाग आ बसे उनके [[पूर्वज]] मालवीय कहलाते थे। आगे चलकर यही जातिसूचक नाम उन्होंने भी अपना लिया। उनके पिता पण्डित ब्रजनाथजी [[संस्कृत भाषा]] के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे [[श्रीमद्भागवत]] की कथा सुनाकर अपनी आजीविका अर्जित करते थे।<ref name=gr>{{cite book |title=The Great Indian patriots, Volume 1 |last=Rao |first=P. Rajeswar |authorlink= |year=1991|publisher=Mittal Publications |isbn=81-7099-280-X |pages=10–13 |url=http://books.google.co.in/books?id=eTrs9MF9374C&pg=PA10&dq=Madan+Mohan+Malaviya&lr=&cd=5#v=onepage&q=Madan%20Mohan%20Malaviya&f=false |ref= }}</ref><ref name=ou>{{cite book |title=Our Leaders (Volume 9 of Remembering Our Leaders): Madan Mohan Malaviya|last= |first= |year=1989 |publisher=Children's Book Trust |isbn=81-7011-842-5|pages=53–73 |url=http://books.google.co.in/books?id=2NoVNSyopVcC&pg=PA61&lpg=PA61&dq=Madan+Mohan+Malaviya+Scouting&source=bl&ots=4oVY8PFiXf&sig=bzIWnjpIp9KGyErYK9A3C6A_x4I&hl=en&ei=AntIS9WNIYqTkAWe6oD4Ag&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=1&ved=0CAcQ6AEwADgo#v=onepage&q=&f=false |ref= }}</ref>
 
पाँच वर्ष की आयु में उन्हें उनके माँ-बाप ने संस्कृत भाषा में प्रारम्भिक शिक्षा लेने हेतु पण्डित हरदेव धर्म ज्ञानोपदेश पाठशाला में भर्ती करा दिया जहाँ से उन्होंने प्राइमरी परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके पश्चात वे एक अन्य विद्यालय में भेज दिये गये जिसे प्रयाग की विद्यावर्धिनी सभा संचालित करती थी। यहाँ से शिक्षा पूर्ण कर वे इलाहाबाद के जिला स्कूल पढने गये। यहीं उन्होंने '''मकरंद''' के [[उपनाम]] से कवितायें लिखनी प्रारम्भ कीं। उनकी कवितायें पत्र-पत्रिकाओं में खूब छपती थीं। लोगबाग उन्हें चाव से पढते थे। 1879 में उन्होंने म्योर सेण्ट्रल कॉलेज से, जो आजकल [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] के नाम से जाना जाता है, मैट्रीकुलेशन (दसवीं की परीक्षा) उत्तीर्ण की। हैरिसन स्कूल के प्रिंसपल ने उन्हें छात्रवृत्ति देकर [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] भेजा जहाँ से उन्होंने 1884 ई० में बी०ए० की उपाधि प्राप्त की।By Anandकी।
 
== पूर्ण परिचय ==