"चाणक्य": अवतरणों में अंतर
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नंदों के नाश के संबंध में कई प्रकार की कथाएँ हैं। कहीं लिखा है कि चाणक्य ने [[शकटार]] के यहाँ निर्माल्य भेजा जिसे छूते ही महानंद और उसके पुत्र मर गए। कहीं [[विषकन्या]] भेजने की कथा लिखी है। मुद्राराक्षस नाटक के देखेने से जाना जाता है कि नंदों का नाश करने पर भी महानंद के मंत्री [[राक्षस]] के कौशल और नीति के कारण चंद्रगुप्त को [[मगध]] का सिंहासन प्राप्त करने में बड़ी बड़ी कठिनाइयाँ पडीं। अंत में चाणक्य ने अपने नीतिबल से राक्षस को प्रसन्न किया और चंद्रगुप्त का मंत्री बनाया। बौद्ध ग्रंथो में भी इसी प्रकार की कथा है, केवल 'महानंद' के स्थान पर 'धननंद' है
कुछ विद्वानों के अनुसार कौटिल्य का जन्म [[पंजाब]] के 'चणक' क्षेत्र में हुआ था, जबकि कुछ विद्वान मानते हैं कि उसका जन्म दक्षिण भारत में हुआ था। कई विद्वानों का यह मत है कि वह [[कांचीपुरम]] का रहने वाला द्रविण ब्राह्मण था। वह जीविकोपार्जन की खोज में उत्तर भारत आया था। कुछ विद्वानों के मतानुसार [[केरल]] भी उसका जन्म स्थान बताया जाता है। इस संबंध में उसके द्वारा चरणी नदी का उल्लेख इस बात के प्रमाण के रूप में दिया जाता है। कुछ सन्दर्भों में यह उल्लेख मिलता है कि केरल निवासी विष्णुगुप्त तीर्थाटन के लिए [[वाराणसी]] आया था, जहाँ उसकी पुत्री खो गयी। वह फिर केरल वापस नहीं लौटा और मगध में आकर बस गया। इस प्रकार के विचार रखने वाले विद्वान उसे केरल के कुतुल्लूर नामपुत्री वंश का वंशज मानते हैं। कई विद्वानों ने उसे मगध का ही मूल निवासी माना है। कुछ बौद्ध साहित्यों ने उसे तक्षशिक्षा का निवासी बताया है। कौटिल्य के जन्मस्थान के संबंध में अत्यधिक मतभेद रहने के कारण निश्चित रूप से यह कहना कि उसका जन्म स्थान कहाँ था, कठिन है, परंतु कई सन्दर्भों के आधार पर तक्षशिला को उसका जन्म स्थान मानना ठीक होगा।▼
▲कुछ विद्वानों के अनुसार कौटिल्य का जन्म [[पंजाब]] के 'चणक' क्षेत्र में हुआ था, जबकि कुछ विद्वान मानते हैं कि उसका जन्म दक्षिण भारत में हुआ था।
वी. के. सुब्रमण्यम ने कहा है कि कई सन्दर्भों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि [[सिकन्दर]] को अपने आक्रमण के अभियान में युवा कौटिल्य से भेंट हुई थी। चूँकि अलेक्जेंडर का आक्रमण अधिकतर तक्षशिला क्षेत्र में हुआ था, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि कौटिल्य का जन्म स्थान तक्षशिला क्षेत्र में ही रहा होगा। कौटिल्य के पिता का नाम चणक था। वह एक गरीब ब्राह्मण था और किसी तरह अपना गुजर-बसर करता था। अतः स्पष्ट है कि कौटिल्य का बचपन गरीबी और दिक्कतों में गुजरा होगा। कौटिल्य की शिक्षा-दीक्षा के संबंध में कहीं कुछ विशेष जिक्र नहीं मिलता है, परन्तु उसकी बुद्धि का प्रखरता और उसकी विद्वता उसके विचारों से परिलक्षित होती है। वह कुरूप होते हुए भी शारीरिक रूप से बलिष्ठ था। उसकी पुस्तक 'अर्थशास्त्र' के अवलोकन से उसकी प्रतिभा, उसके बहुआयामी व्यक्तित्व और दूरदर्शिता का पूर्ण आभास होता है।
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