"श्रीवत्स": अवतरणों में अंतर

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** स्रोत: [http://www.bhaskar.com/2007/11/09/0711090951_mahalakshmi.html भास्कर.कॉम]
 
* भगवान की दिव्य मूर्ति कुछ हरित वर्ण की, पाषाण शिला में है। मूर्ति की ऊंचाई लगभग डेढ फुट है। भगवान पद्मासन में विराजमान हैं। पद्मासन योग मुद्रा में हैं। पद्मासन के ऊपर भगवान बदरीनाथजी के गम्भीर बर्तुलाकार ’नाभिहृद‘ के दर्शन होते हैं। यह ध्यान साधक को साधना में गाम्भीर्य प्रदान करता है तथा मन की चपलताचपलत (चंचलता) नष्ट करता है। नाभि से ऊपर भगवान बदरीनाथजी के विशाल वक्षस्थल के दर्शन होते हैं। वक्षस्थल के बामभाग में ’भृगुलता‘ का चिह्व तथा दायें भाग में '''’श्रीवत्स‘''' चिह्व स्पष्ट दृष्टिगत होते हैं। भृगुलता भगवान की सहिष्णुता और क्षमाशीलता का प्रतीक है तथा श्रीवत्स दर्शन शरणागति दायक और भक्तवत्सलता का प्रतीक हैं।
 
** स्रोत: [http://www.uttara.in/hindi/bktc/char_dham/badrinath_intro.html श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति, उत्तराखण्ड]