"धर्म के लक्षण": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
छो 2409:4053:71C:AC9F:0:0:1F1C:88AC (Talk) के संपादनों को हटाकर Pranav Darshan के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 4:
: '''धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।'''
: '''धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।।''' (मनुस्मृति ६.९२)
अर्थ – धृति (धैर्य ), क्षमा (अपना अपकार करने वाले का भी उपकार करना ), दम (हमेशा संयम से धर्म में लगे रहना ), अस्तेय (चोरी न करना ), शौच ( भीतर और बाहर की पवित्रता ), इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों को हमेशा धर्माचरण में लगाना ), धी ( सत्कर्मों से बुद्धि को बढ़ाना ), विद्या (यथार्थ ज्ञान लेना ). सत्यम ( हमेशा सत्य का आचरण करना ) और अक्रोध ( क्रोध को छोड़कर हमेशा शांत रहना )।
|