"छायावाद": अवतरणों में अंतर
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'''छायावाद''' [[हिंदी]] साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई.स. १९१८ से
आत्माभिव्यक्ति, प्रकृति प्रेम, नारी प्रेम, मानवीकरण, सांस्कृतिक जागरण, कल्पना की प्रधानता आदि छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं हैं। छायावाद ने हिंदी में खड़ी बोली कविता को पूर्णतः प्रतिष्ठित कर दिया। इसके बाद ब्रजभाषा हिंदी काव्य धारा से बाहर हो गई। इसने हिंदी को नए शब्द, प्रतीक तथा बिंब दिए। इसके प्रभाव से इस दौर की गद्य की भाषा भी समृद्ध हुई।
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