केवल 65 वर्ष की उम्र में इनका विवाह श्री रामकृष्ण से कर दिया गया था। जब रामकृष्ण के साथ विवाह हेतु कोई योग्य कन्या नहीं मिल रही थी तब ठाकुर ने सामने से जयरामबाटी में पता लगाने के लिये कहा था और कहा था कि इस कन्या का जन्म मेरे लिये ही हुआ है। सामान्यत: विवाह कर्मसंतानोत्पत्ति प्रजोत्पत्ति के लिये किया जाता है किन्तु शारदा देवी और रामकृष्ण का विवाह संबंध अलौकिक था। रामकृष्ण देव हमेशा शारदा देवी को माँ के रूप में ही देखते थे। एक दिन रामकृष्ण देव की मन:स्थिति जानने हेतु माँ शारदा ने उनसे पूछा: 'बताईये तो मैं आपकी कौन हूँ?' रामकृष्ण ने बिना विलंब उत्तर दिया कि, 'जो माँ काली मूर्ति में विराजमान है वहीं माँ आपके रूप में मेरी सेवा कर रही हैं।'<ref>{{cite web|title=रामकृष्ण परमहंस क्यों कहते थे अपनी पत्नी को मां?|url=http://m.rajasthanpatrika.patrika.com/story/astrology-and-spirituality/why-ramkrishna-say-mother-to-his-wife-417980.html|website=राजस्थान पत्रिका|publisher=राजस्थान पत्रिका|accessdate=13 जून 2017}}</ref> उनके विवाह संबंध में विषय वासना को कोई स्थान नहीं था। उनके भक्तों का मानने है कि माँ शारदा और रामकृष्ण देव कई जन्मों से एक दूसरे के सहचारी थे।