"आर्य आष्टांगिक मार्ग": अवतरणों में अंतर

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बौद्ध धर्म के अनुसार, चौथे आर्य सत्य का आर्य अष्टांग मार्ग है - दुःख निरोध पाने का रास्ता। गौतम बुद्ध कहते थे कि चार आर्य सत्य की सत्यता का निश्चय करने के लिए इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए :
 
१. #'''सम्यक दृष्टि''' : चार आर्य सत्य में विश्वास करना
२. #'''सम्यक संकल्प''' : मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना
३. #'''सम्यक वाक''' : हानिकारक बातें और झूठ न बोलना
४. #'''सम्यक कर्म''' : हानिकारक कर्म न करना
५. #'''सम्यक जीविका''' : कोई भी स्पष्टतः या अस्पष्टतः हानिकारक व्यापार न करना
६. #'''सम्यक प्रयास''' : अपने आप सुधरने की कोशिश करना
७. #'''सम्यक स्मृति''' : स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना
८. #'''सम्यक समाधि''' : निर्वाण पाना और स्वयं का गायब होना
 
कुछ लोग आर्य अष्टांग मार्ग को पथ की तरह समझते है, जिसमें आगे बढ़ने के लिए, पिछले के स्तर को पाना आवश्यक है। और लोगों को लगता है कि इस मार्ग के स्तर सब साथ-साथ पाए जाते है। मार्ग को तीन हिस्सों में वर्गीकृत किया जाता है : प्रज्ञा, शील और समाधि।