"झाँसी की रानी (कविता)": अवतरणों में अंतर

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:हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
:ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
:राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
:चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,
:बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
:खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
 
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
 
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
:उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
:किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।
:तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
:रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
निसंतान:निःसंतान मरे राजाजीराजा जी रानी शोक-समानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
:बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
:खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
 
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
 
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
:बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
अश्रुपूर्णा रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
:राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
:फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
:लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
अश्रुपूर्णा:अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
:बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
:खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
 
 
अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
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बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
 
जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
 
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
:जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
:यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।
:होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
:हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
:तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
:बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
:खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।