"झाँसी की रानी (कविता)": अवतरणों में अंतर
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:इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
:नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
:अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
:भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।
:लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
:बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
:खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,▼
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,▼
▲:इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,▼
▲:जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वन्द्ध असमानों में।▼
▲:लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,
ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,▼
▲:रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वन्द्ध असमानों में।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,▼
▲:ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।▼
▲:बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,▼
▲:खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,▼
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,▼
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।▼
▲:रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी,▼
▲:घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,▼
▲:यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।▼
▲:विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
▲:अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी,
▲:बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
▲:खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
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