"अर्थशास्त्र": अवतरणों में अंतर

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* ब्रिटेन के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री [[लार्ड राबिन्स]] ने 1932 में प्रकाशित अपनी पुस्तक, ‘‘An Essay on the Nature and Significance of Economic Science’’ में अर्थशास्त्र को '''दुर्लभता का सिद्धान्त''' माना है। इस सम्बन्ध में उनका मत है कि मानवीय आवश्यकताएं असीमित है तथा उनको पूरा करने के साधन सीमित है।
* आधुनिक अर्थशास्त्री [[सैम्यूल्सन]] (Samuelson) ने अर्थशास्त्र को '''विकास का शास्त्र''' (Science of Growth ) कहा है।
*आधुनिक अर्थशास्त्री कपिल आर्य (Kapil Arya) ने अपनी पुस्तक "अर्थमेधा" में अर्थशास्त्र को '''सुख के साधनों''' का विज्ञानंविज्ञान माना है |
 
==अर्थशास्त्र का महत्व==