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छन्दों की रचना और गुण-अवगुण के अध्ययन को छन्दशास्त्र कहते हैं। चूँकि, आचार्य [[पिंगल]] द्वारा रचित '[[छन्दःशास्त्र]]' सबसे प्राचीन उपलब्ध ग्रन्थ है जिसे 'पिंगलशास्त्र' भी कहा जाता है।<ref>http://www.anubhuti-hindi.org/kavyacharcha/Chhand.htm</ref> यदि [[गद्य]] की कसौटी ‘[[व्याकरण]]’ है तो [[कविता]] की कसौटी ‘छन्दशास्त्र’ है। पद्यरचना का समुचित ज्ञान छन्दशास्त्र की जानकारी के बिना नहीं होता। काव्य और छन्द के प्रारम्भ में ‘अगण’ अर्थात ‘अशुभ गण’ नहीं आना चाहिए।
 
==इतिहास==
प्राचीन काल के ग्रंथों में [[संस्कृत]] में कई प्रकार के छन्द मिलते हैं जो [[वैदिक]] काल के जितने प्राचीन हैं। [[वेद]] के सूक्त भी छन्दबद्ध हैं। [[पिंगल]] द्वारा रचित [[छन्दशास्त्र]] इस विषय का मूल ग्रन्थ है। छन्द पर चर्चा सर्वप्रथम [[ऋग्वेद]] में हुई है।
 
== छंद के अंग ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/छंद" से प्राप्त