"छंद": अवतरणों में अंतर

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== छंद के प्रकार ==
 
* '''[[मात्रिक छंद]]''' ː जिन छंदों में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है उन्हें [[मात्रिक]] छंद कहा जाता है। जैसे - [[दोहा]], [[रोला]], [[सोरठा]], [[चौपाई]]
* '''[[वार्णिक छंद|वर्णिक छंद]]''' ː वर्णों की गणना पर आधारित छंद [[वार्णिक|वर्णिक]] छंद कहलाते हैं। जैसे - [[घनाक्षरी]], [[दण्डक]], [[मंदाक्रांता]]
* '''[[वर्णवृत]]''' ː सम छंद को वृत कहते हैं। इसमें चारों [[चरण]] समान होते हैं और प्रत्येक [[चरण]] में आने वाले [[लघु]] [[गुरु]] मात्राओं का क्रम निश्चित रहता है। जैसे - [[द्रुतविलंबित]], [[मालिनी]]
* '''मुक्त छंद'''ː भक्तिकाल तक [[मुक्त]] छंद का अस्तित्व नहीं था, यह आधुनिक युग की देन है। इसके प्रणेता [[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला']] माने जाते हैं। मुक्त छंद नियमबद्ध नहीं होते, केवल स्वछंद [[गति]] और भावपूर्ण [[यति]] ही मुक्त छंद की विशेषता हैं।
* '''मुक्त छंद का उदाहरण''' -
 
:: ''वह आता
:: ''दो टूक कलेजे के करता, पछताता पथ पर आता।
:: ''पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
:: ''चल रहा लकुटिया टेक,
:: ''मुट्ठी-भर दाने को, भूख मिटाने को,
:: ''मुँह फटी-पुरानी झोली का फैलाता,
:: ''दो टूक कलेजे के करता, पछताता पथ पर आता।
 
== काव्य में छंद का महत्त्व ==
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/छंद" से प्राप्त