प्रियरंजन

प्रियरंजन 5 मार्च 2017 से सदस्य हैं
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सुमति का एक सुन्दर परिणाम,सुगति को प्राप्त हुआ मतभेद|
द्वेष के सभी पहल को त्याग ,प्रकट की भूतकाल पर खेद|
पुनः व्यापार हुआ प्रारम्भ ,रहेंगे मार्ग नही एकान्त मिलकर|एकान्त।
मिलकर अब दोनो नगरें,करेंगे हर दिन का मधुरान्त|
मगध से बीस मील पश्चिम,घने जंगलों के अतिपार|
नगर थे दो विकसित समृद्ध,अलग ही था उनका संसार|
प्रकृति का वह सुन्दर विस्तार,असम्भव द्व्तीय रूप अन्यत्र|
विजय सा लहराते किसलय,अवनी का शुभ सर्वोचित वस्त्र..... . |||| .
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