"कीर्तन": अवतरणों में अंतर

Reverted good faith edits by 115.242.7.145 (talk): कीर्तन ही लिख डाला था।. (TW)
हमने इसमे कीर्तन को विस्तृत कीया है।
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
{{आधार}}
 
[[हिन्दू धर्म]] में ईश्वर या देवता की भक्ति के लिये उनके नामों का स्मरण करना गायन करना एवं चिंतन करना भी भक्ति का एक अंग है।भगवान श्री कृष्ण ने भी गीत में कहा है कि मन से या वाणी से मेरे गुणों का गान करना भजन ही कहलाता है। मेरी ही भक्ति का एक रूप है। जिसमे सिर्फ भगवन की मधुर्यमयी लीलाओं को गायन करके या गा के सुनाया जाता है। जिसे हम कीर्तन कहते है।जो माया के प्रभाव को निष्क्रिय कर दे उसे ही तो हम भजन या कीर्तन कहते है।
[[हिन्दू धर्म]] में ईश्वर या देवता की भक्ति के लिये उनके नामों को भांति-भांति रूप में उच्चारना '''कीर्तन''' कहलाता है। यह [[भक्ति]] के अनेक मार्गों में से एक है। अन्य हैं - [[श्रवण]], [[स्मरण]], [[अर्चन]] आदि।
भागवत में वेदव्यास जी लिखते है।..॥
वाणी गुणानुकथनों श्रावणौ कथायं
हस्तौ च कर्मशु ,मनस्तवपड़्योर्ण हे प्रभु वाणी से आपका भजन करू कानो से आपका अलौकिक भजन कीर्तन सुनू हाथों से आपकी सेवा करु,ये सिष हरदम आपक़े चरणों में झुके,
 
== इन्हें भी देखें ==