"खगोलभौतिकी": अवतरणों में अंतर

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कुछ प्रकार के तारों का पुंज और उनके अर्धव्यास ज्ञात हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक तारे का यह आवश्यक लक्षण है कि वह सतत आकाश में सब ओर ऊर्जा का विकिरण करता रहता है। ऊर्जा के विकिरण की दर, जिसे तारे की ज्योति (luninosity) कहते हैं, तारे का उतना ही महत्वपूर्ण लक्षण है जितने उसके पुंज और अर्धव्यास। यदि तारों के पुंज और उनते अर्धव्यासों का रेखाचित्र खींचा जाए, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि तारे लगभग तीन भागों में विभाजित किए जा सकते हैं। तारों के पुंज और ज्योतिषयों का रेखाचित्र भी इस कथन का समर्थन करता है। अधिकांश तारों के लिये उनकी ज्योति पुंज के लगभग 3.5 घात के अनुसार विचरण करती है। इन तारों के समूह को मुख्य श्रेणी कहते हैं। जो तारे इस श्रेणी से भिन्न हैं, वे दो प्रकार के होते हैं : (1) श्वेत वामन (white dwarfs) और (2) ट्रंपलर तारे। ट्रंपलर तारों की ज्योति उनके पुंज के अनुपात में विचरण करती है। यदि एक ही पुंज की मुख्य श्रेणी के तारों और श्वेत-वामन की ज्योतियों ओर अर्धव्यासों की तुलना करें, तो यह पाया जाता है कि श्वेत वातन मुख्य श्रेणी के तारे की अपेक्षा बहुत कम ज्येतिष्मान् होता है और उसका अर्धव्यास भी बहुत कम होता है। अत: श्वेत वामन का पदार्थ अत्यंत घन होना चाहिए। द्वितीय-लुब्धक (सीरियम-बी) श्वेत-वामन श्रेणी का प्रतिनिधि माना जाता है। इसका माध्य घनत्व लगभग 6.8 ज्र्104 ग्राम प्रति घन सेंमी0 है। यही यहीं, यदि एक ही प्रभावी ताप के मुख्य श्रेणी के तारों और श्वेत वामन की ज्योतियों की तुलना करें, तो श्वेत वामन मुख्य श्रेणी के तारे की अपेक्षा बहुत ही कम ज्येतिष्मान होता है। ये भिन्नताएँ तारों के आंतरिक संघटन की भिन्नता की द्योतक हैं।
 
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