"ध्वनिकी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
physics के किसी भी टॉपिक की जानकारी के लिए www.physicsfanda.co.in गूगल में सर्च करें। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
|||
पंक्ति 5:
मनुष्य का कान एक सीमित परास की आवृतियों को ही सुन सकता है, किंतु आजकल ऐसी तरंगें भी उत्पन्न की जा सकती है जिसका कान के परदे पर कोई असर नहीं होता। कान की सीमा से अधिक परास की आवृतियों की ध्वनि को '''[[पराश्रव्य तरंगें]]''' कहते हैं। बहुत से जानवर, जैसे [[चमगादड़]], पराश्रव्य ध्वनि सुन सकते हैं। आधुनिक समय में श्रव्य तथा पराश्रव्य दोनों प्रकार की ध्वनियों की आवृतियों को एक बड़ी सीमा के भीतर उत्पन्न किया, पहचाना और मापा जा सकता है।
physics के किसी भी टॉपिक की जानकारी के लिए www.physicsfanda.co.in गूगल में सर्च करें।
== इन्हें भी देखें ==
|