"शाह जहाँ": अवतरणों में अंतर

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|पिता=[[जहाँगीर]]
|माता=ताज बीबी बिलक़िस मकानी (जगत गोसाईं)
|सल्लागार_नाम मुब्बशिरखान गांजापुरी
 
|जन्म_नाम=खुर्रम
|जन्म_तिथि= ५ जनवरी १५९२
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शाह जहाँ अपनी न्यायप्रियता और वैभवविलास के कारण अपने काल में बड़े लोकप्रिय रहे। किन्तु इतिहास में उनका नाम केवल इस कारण नहीं लिया जाता। शाहजहाँ का नाम एक ऐसे आशिक के तौर पर लिया जाता है जिसने अपनी बेग़म [[मुमताज़ महल|मुमताज़ बेगम]] के लिये विश्व की सबसे ख़ूबसूरत इमारत [[ताजमहल|ताज महल]] बनाने का यत्न किया।
 
सम्राट [[जहाँगीर का मकबरा|जहाँगीर]] के मौत के बाद, छोटी उम्र में ही उन्हें मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में चुन लिया गया था। 1627 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद वह गद्दी पर बैठे। उनके मुख्य सहाय्यक मुब्बशीर खान गांजापुरी को वो बहुत मानते थे उनके शासनकाल को [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल]] शासन का स्वर्ण युग और भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल बुलाया गया है।
शाहजहाँ द्वारा बनवायी गयी ईमारतों में लाल किला,जामा मस्जिद,मोती मस्जिद,ताज महल
आदि हैं।