"बृहस्पति के प्राकृतिक उपग्रह": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:The_Galilean_satellites_(the_four_largest_moons_of_Jupiter).tif|200px|right|thumb|[[बृहस्पति (ग्रह)|बृहस्पति]] के चार सब से बड़े उपग्रह, जिन्हें गैलिलीयाई चन्द्रमा भी कहा जाता है - (बाएँ से दाएँ) [[आयो (उपग्रह)|आयो]], [[यूरोपा (उपग्रह)|यूरोपा]], [[गैनिमीड (उपग्रह)|गैनिमीड]] और [[कलिस्टो (उपग्रह)|कलिस्टो]]]]
हमारे [[सौर मण्डल]] के पाँचवे ग्रह [[बृहस्पति (ग्रह)|बृहस्पति]] के 7967 ज्ञात [[प्राकृतिक उपग्रह|उपग्रह]] हैं जिनकी [[कक्षा (भौतिकी)|परिक्रमा की कक्षाएँ]] परखी जा चुकी हैं और स्थाई पायी गयी हैं।<ref name=shep-main>{{cite web|url=http://www.dtm.ciw.edu/users/sheppard/satellites/ |title=The Giant Planet Satellite and Moon Page|author=Sheppard, Scott S.|publisher=Departament of Terrestrial Magnetism at Carniege Institution for science|accessdate=2008-08-28}}</ref> यह संख्या सौर मण्डल के किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है।<ref>{{cite web|url=http://ssd.jpl.nasa.gov/?bodies|title=Solar System Bodies|publisher=JPL/NASA|accessdate=2008-09-09}}</ref> इन उपग्रहों में से चार चन्द्रमा काफी बड़े आकार के हैं - [[गैनिमीड (उपग्रह)|गैनिमीड]], [[कलिस्टो (उपग्रह)|कलिस्टो]], [[आयो (उपग्रह)|आयो]] और [[यूरोपा (उपग्रह)|यूरोपा]]। इनकी खोज [[गैलीलियो गैलिली]] ने सन् 1610 में की थी इसलिए इन चारों को बृहस्पति के गैलिलीयाई चन्द्रमा भी कहा जाता है। यह चार पहले उपग्रह थे जो पृथ्वी से अन्य किसी ग्रह की परिक्रमा करते पाए गए थे। इन चारों का व्यास (डायामीटर) ३,१०० कि॰मी॰ से अधिक है। बृहस्पति के बाक़ी किसी भी उपग्रह का व्यास २५० कि॰मी॰ से अधिक नहीं और अधिकतर तो ५ कि॰मी॰ से भी कम का व्यास रखते हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==