"घराना (1961 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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कहानी
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'''घराना''' 1961 में बनी [[हिन्दी भाषा]] की फिल्म है।
 
==कहानी==
ये कहानी एक बहुत बड़े घराने की है, जिसे एक अत्याचारी माँ, शांता (ललिता पवार) चलाते रहती है। उसका पति, रामदास (बिपिन गुप्ता) काफी धार्मिक और नम्र स्वभाव का इंसान है, जो अपने घर में सभी का कहना मानते रहता है। उस घर की सबसे बड़ी बहू, गौरी एक विधवा है, जिसके दो बच्चे हैं। शांता का दूसरा बेटा, कैलाश (राज कुमार) की शादी सीता (देविका) से होती है। सबसे छोटा बेटा, कमल (राजेंद्र कुमार) अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है, और उषा (आशा पारेख) नाम की एक लड़की के पीछे लट्टू है। शांता की एक बेटी, भैरवी (शुभा खोटे) है, जो अपने पति और ससुर के साथ रहती थी, लेकिन ससुर के गाने से परेशान हो कर वो अपने मायके में आ जाती है और अपनी पत्नी को वापस घर ले जाने के लिए उसका पति, सारंग भी उसके पास आ जाता है।
 
एक दिन कैलाश के मन में भैरवी उसकी पत्नी के खिलाफ शक डालती है कि उसका चक्कर कमल के साथ चल रहा है। कमल की उषा के साथ शादी होने के बाद भी कैलाश का शक दूर नहीं होता है। वो अपनी पत्नी को छोड़ देता है और ख़ुदकुशी करने की कोशिश करता है। उसकी दोस्त, रागिनी (मीनू मुमताज़) उसे रोक लेती है और एक दोस्त के रूप में वो उसकी मदद करती है।
 
एक दिन कमल देखता है कि उसकी माँ, उषा को मारने वाली है और वो उसे मारने से रोक देता है। वो अपने पिता, रामदास को भी घर की ज़िम्मेदारी उठाने और चलाने को कहता है। अंत में रामदास उसकी बात मान कर घर की सारी ज़िम्मेदारी ले लेता है और भैरवी को भी अपने पति के साथ ससुराल जाने को कहता है। कैलाश को पता चलता है कि उसकी पत्नी माँ बनने वाली है, पर वो उस बच्चे का पिता होने से इंकार कर देता है और कहता है कि इस बच्चे का बाप कमल है। सीता इन आरोपों को बेबुनियाद बताती है और इससे साफ इंकार कर देती है। इन आरोपों से उसका दिल टूट जाता है और वो ख़ुदकुशी करने की कोशिश करती है। परिवार के बाकी लोग उसे रोक लेते हैं और भैरवी सारी सच्चाई बता देती है कि उसने कमल और सीता के बारे में झूठी कहानी बनाई थी। सारी सच्चाई पता चलने के बाद कैलाश उससे माफी मांगता है और सीता उसे माफ कर देती है। इस तरह अंत में सारा परिवार एक हो जाता है और खुशियों के साथ जीवन बिताने लगता है।
 
== मुख्य कलाकार ==