"ऋग्वेद": अवतरणों में अंतर

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==प्रमुख विषय==
ऋग्वेद के विषय में कुछ '''प्रमुख बातें''' निम्नलिखित है-
* ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें १०२८ [[सूक्त]] हैं और कुल १०,५८० 462[[ऋचा]]एँ हैं। इन मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ बड़े हैं।
* ॠग्वेद के कई सूक्तों में विभिन्न वैदिक [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले मंत्र हैं। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्तोत्रों की प्रधानता है।
* ऋग्वेद में ३३ [[देवी]]-[[देवता]]ओं का उल्लेख है। इस वेद में सूर्या, उषा तथा अदिति जैसी देवियों का वर्णन किया है। इसमें [[अग्नि]] को आशीर्षा, अपाद, घृतमुख, घृत पृष्ठ, घृत-लोम, अर्चिलोम तथा वभ्रलोम कहा गया है। इसमें [[इन्द्र]] को सर्वमान्य तथा सबसे अधिक शक्तिशाली देवता माना गया है। इन्द्र की स्तुति में ऋग्वेद में २५० [[ऋचा]]एँ हैं। ऋग्वेद के एक मण्डल में केवल एक ही देवता की स्तुति में श्लोक हैं, वह [[सोम]] देवता है।