"दण्ड": अवतरणों में अंतर

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== राजनीति एवं प्रशासन ==
दण्ड शब्द का मुख्य रूप से प्रयोग राजनीतिशास्त्र और प्रशासन के सम्बन्ध में किया जाता है। जिसके द्वारा अपराधियों को दंडित किया जाय वही दंड है, किंतु इसका प्रयोग होता है राज्य और शासन की सीमा के भीतर। जब राज्य की सीमा के बाहर किसी, शत्रु, मित्र, मध्यस्थ अथवा उदासीन राज्य के प्रति उसका प्रयोग किया जाय तो वह राजनीति के चार उपायों में एक हो जाता है और उससे तात्पर्य होता है '''सैन्य प्रयोग''' का। इन बातों के विचार से संबंध रखनेवाला शास्त्र होता है दंडशास्त्र और उसकी नीति होती है [[दंडनीति]]। दंडनीति सरकार और प्रशासन का विज्ञान है, जिसका आधार है नैतिकता और विधि का पालन, जो दंड धारण करनेवाले तथा दंड पानेवाले दोनों ही पर समान रूप से लागू होती है। उसके बिना लोकयात्रा संभव नहीं। (''तस्यामायत्ता लोकयात्रा'' - [[अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)|अर्थशास्त्र]], प्रथम आधि, 4-7)। [[कामन्दक नीतिसार]] (द्वितीय 15) ([[शुक्रनीति]], प्रथम, 14) और [[महाभारत]] (शांतिपर्व, 15-8) की परिभाषा के अनुसार अपराधों का दमन (दम) ही दंड अथवा "नीति" कहलाता है। इस कार्य को करनेवाला अर्थात् इस गुण का प्रतीक राजा 'दंडी' कहलाता है, नयन (समाज का सुमार्ग पर नेतृत्व) के कारण। [[शंकराचार्य]] ने [[कामंदक]] की टीका करते हुए [[मनुस्मृति]] (सप्तम्-22) को उद्धृत किया है, जहाँ यह कहा गया है कि संपूर्णसम्पूर्ण लोक दंडदण्ड के भय के कारण ही जगत् का भोग संभव हो पाता है। स्पष्ट है, भारतीय राजनीतिशास्त्र में दंड का अत्यधिक महत्व था जो वास्तविक और प्रतीकात्मक, दोनों स्वरूपों से व्यक्त होता था।
 
: ''तस्यसर्वाणि भूतानि स्थावराणि चराणि च ।
: ''भयाद भोगायकल्पन्ते स्वधर्मान्न चलन्ति च ॥
अर्थात, दण्ड वह विधान है, जिसके भय से सभी प्राणी अपना-अपना भोग करने में समर्थ होते हैं, अन्यथा बलवान व्यक्ति दुर्बल व्यक्ति के धन, पत्नी आदि का ग्रहण कर लेता। इसी प्रकार वृक्ष आदि स्थावरों को काट कर भी वह दूसरों को न भोगने देता। राजा के डर से सज्जन भी नित्य नैमित्तिक आदि नियमों का पालन करते है। [[याज्ञवल्क्य]] के अनुसार दुराचारियों अर्थात अपराधियों का दमन करना ही दण्ड है। मनुष्य को प्रमाद से बचाने तथा उसके धन की रक्षा करने के लिए संसार में जो मर्यादा स्थापित की गयी है दण्ड उसी का नाम है। इससे स्पष्ट होता है कि दण्ड वह विधान है जो सामाजिक सम्बन्धों, सम्पत्ति के अधिकारों एवं परम्पराओं का सही ढंग से परिपालन करवाता था। स्पष्ट है, भारतीय राजनीतिशास्त्र में दंड का अत्यधिक महत्व था जो वास्तविक और प्रतीकात्मक, दोनों स्वरूपों से व्यक्त होता था।
 
===मनुस्मृति में दण्ड===
"https://hi.wikipedia.org/wiki/दण्ड" से प्राप्त