"काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय": अवतरणों में अंतर

वाराणसी bhu
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'''वाराणसी हिन्दू युनिवर्सिटी ('''आम तौर पर वी.एच.यू.''')''' या '''काशी हिन्दू विश्वविद्यालय''' [[वाराणसी]] में स्थित एक केन्द्रीय [[विश्वविद्यालय]] है। इसे प्रायः '''बीएचयू''' (बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी) कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना (वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक 16, सन् 1915) '''महामना पंडित [[मदन मोहन मालवीय]]''' द्वारा सन् 1916 में [[वसंत पंचमी]] के पुनीत दिवस पर की गई थी। दस्तावेजों के अनुसार इस विश्वविद्यालय की स्थापना मे मदन मोहन मालवीय जी का योगदान केवल सामान्य संस्थापक सदस्य के रूप मे था, [[दरभंगा]] के महाराजा [[रामेश्वर सिंह (महाराजा)|रामेश्वर सिंह]] ने विश्वविद्यालय की स्थापना में आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था दान देकर की ।इस विश्वविद्यालय के मूल में डॉ॰ [[एनी बेसेन्ट]] द्वारा स्थापित और संचालित [[सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज]] की प्रमुख भूमिका थी। विश्वविद्यालय को "राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान" का दर्ज़ा प्राप्त है।
 
संप्रति इस विश्वविद्यालय के दो परिसर है। मुख्य परिसर (१३०० एकड़) वाराणसी में स्थित है जिसकी भूमि [[काशी नरेश]] ने [[दान]] की थी। मुख्य परिसर में ६ संस्थान्, १४ संकाय और लगभग १४० विभाग है। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर [[मिर्जापुर जनपद]] में बरकछा नामक जगह (२७०० एकड़) पर स्थित है। ७५ छात्रावासों के साथ यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है जिसमे ३०,००० से ज्यादा छात्र अध्यनरत हैं जिनमे लगभग ३४ देशों से आये हुए छात्र भी शामिल हैं।
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वर्ष २०१५-१६ विश्वविद्यालय की स्थापना का शताब्दी वर्ष था जिसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, उत्सवों व प्रतियोगिताओं एवं २५ दिसंबर को महामना मालवीय जी की जयंती-उत्सव का आयोजन कर मनाया गया।
 
==उद्देश्य==
विश्वविद्यालय के उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
*(१) अखिल जगत की सर्वसाधारण जनता के, एवं मुख्यतः हिन्दुओं के, लाभार्थ हिन्दूशास्त्र तथा संस्कृत साहित्य की शिक्षा का प्रसार करना, जिससे प्राचीन [[भारत की संस्कृति]] और उसके उत्तम विचारों की रक्षा हो सके, तथा प्राचीन भारत की [[सभ्यता]] में जो कुछ महान तथा गौरवपूर्ण था, उसका निदर्शन हो।
 
*(२) सामान्यतः [[कला]] तथा [[विज्ञान]] की समस्त शाखाओं में शिक्षा एवं अनुसन्धान को बढ़ावा देना।
 
*(३) भारतीय घरेलू उद्योगों की उन्नति और भारत की द्रव्य-सम्पदा के विकास में सहायक आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान से युक्त वैज्ञानिक, तकनीकी तथा व्यावसायिक ज्ञान का प्रचार और प्रसार करना।
 
*(४) [[धर्म]] तथा [[नीति]] को शिक्षा का आवश्यक अंग मानकर नवयुवकों में सुन्दर चरित्र का गठन करना।
 
== इतिहास ==
पं॰ मदनमोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रीगणेश १९०४ ई. में किया, जब काशीनरेश महाराज प्रभुनारायण सिंह की अध्यक्षता में संस्थापकों की प्रथम बैठक हुई। १९०५ ई. में विश्वविद्यालय का प्रथम पाठ्यक्रम प्रकाशित हुआ। जनवरी, १९०६ ई. में [[कुंभ मेला|कुंभ मेले]] में मालवीय जी ने त्रिवेणी संगम पर भारत भर से आयी जनता के बीच अपने संकल्प को दोहराया। कहा जाता है, वहीं एक वृद्धा ने मालवीय जी को इस कार्य के लिए सर्वप्रथम एक पैसा चंदेचन्दे के रूप में दिया। [[एनी बेसेन्ट|डॉ॰ ऐनी बेसेंटबेसेन्ट]] काशी में विश्वविद्यालय की स्थापना में आगे बढ़ रही थीं। इन्हीं दिनों [[दरभंगा]] के राजा महाराज रामेश्वर सिंह भी काशी में "शारदा विद्यापीठ" की स्थापना करना चाहते थे। इन तीन विश्वविद्यालयों की योजना परस्पर विरोधी थी, अत:अतः मालवीय जी ने डॉ॰ बेसेंट और महाराज रामेश्वर सिंह से परामर्श कर अपनी योजना में सहयोग देने के लिए उन दोनों को राजी कर लिया। फलस्वरूप बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सोसाइटी की १५ दिसम्बर १९११ को स्थापना हुई, जिसके महाराज दरभंगा अध्यक्ष, [[इलाहाबाद उच्च न्यायालय]] के प्रमुख बैरिस्टर सुंदरलालसुन्दरलाल सचिव, महाराज प्रभुनारायण सिंह, पं॰ मदनमोहन मालवीय एवं डॉ॰ ऐनी बेसेंट सम्मानित सदस्य थीं। तत्कालीन शिक्षामंत्री सर हारकोर्ट बटलर के प्रयास से १९१५ ई. में केंद्रीय विधानसभा से हिंदू यूनिवर्सिटी ऐक्ट पारित हुआ, जिसे तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंज ने तुरंततुरन्त स्वीकृति प्रदान कर दी। १४ जनवरी १९१६ ई. ([[वसंतपंचमी]]) के दिन ससमारोह वाराणसी में गंगातट[[गंगा]]तट के पश्चिम, रामनगर के समानांतरसमानान्तर महाराज प्रभुनारायण सिंह द्वारा प्रदत्त भूमि में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का शिलान्यास हुआ। उक्त समारोह में देश के अनेक गवर्नरों, राजे-रजवाड़ों तथा सामंतों ने गवर्नर जनरल एवं वाइसराय का स्वागत और मालवीय जी से सहयोग करने के लिए हिस्सा लिया। अनेक शिक्षाविद् वैज्ञानिक एवं समाजसेवी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। [[महात्मा गांधी|गांधी जी]] भी विशेष निमंत्रणनिमन्त्रण पर पधारे थे। अपने वाराणसी आगमन पर गांधी जी ने डॉ॰ बेसेंट की अध्यक्षता में आयोजित सभा में राजा-रजवाड़ों, सामंतोंसामन्तों तथा देश के अनेक गण्यमान्य लोगों के बीच, अपना वह ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसमें एक ओर ब्रिटिश सरकार की और दूसरी ओर हीरे-जवाहरात तथा सरकारी उपाधियों से लदे, देशी रियासतों के शासकों की घोर भर्त्सना की गई।
 
डॉ॰ बेसेंट द्वारा समर्पित सेंट्रल हिंदू कालेज में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का विधिवत शिक्षणकार्य, १ अक्टूबर १९१७ से आरम्भ हुआ। १९१६ ई. में आयी बाढ़ के कारण स्थापना स्थल से हटकर कुछ पश्चिम में १,३०० एकड़ भूमि में निर्मित वर्तमान विश्वविद्यालय में सबसे पहले इंजीनियरिंग कालेज का निर्माण हुआ तत्पश्चात क्रमशः आर्ट्स कालेज एवं साइंस कालेज स्थापित किया गया। १९२१ ई से विश्वविद्यालय की पूरी पढ़ाई कमच्छा कॉलेज से स्थानांतरित होकर नए भवनों में प्रारंभ हुई। विश्वविद्यालय का औपचारिक उद्घाटन १३ दिसम्बर १९२१ को प्रिंस ऑव वेल्स ने किया।