"चाणक्य": अवतरणों में अंतर

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'''चाणक्य''' (अनुमानतः ईसापूर्व 375 - ईसापूर्व 283) [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के महामंत्री थे। वे 'कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे।<ref>{{cite web|url=https://amp.scroll.in/article/858304/in-the-21st-century-what-do-we-want-more-the-artha-of-chanakya-or-the-dharma-of-ram-rajya?__twitter_impression=true|title=Ram Rajya would certainly have space for Chanakya. But Ram is not Chanakya’s ideal for a king}}</ref> उन्होने [[नंदवंश]] का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित '''[[अर्थशास्त्र ग्रन्थ|अर्थशास्त्र]]''' राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। '''अर्थशास्त्र''' मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
 
[[विष्णुपुराण]], [[भागवत पुराण|भागवत]] आदि पुराणों तथा [[कथासरित्सागर]] आदि संस्कृत ग्रंथों में तो चाणक्य का नाम आया ही है, बौद्ध ग्रंथो में भी इसकी कथा बराबर मिलती है। [[बुद्धघोष]] की बनाई हुई [[विनयपिटक]] की टीका तथा [[महानाम स्थविर]] रचित [[महावंश]] की टीका में चाणक्य का वृत्तांत दिया हुआ है। चाणक्य [[तक्षशिला]] (एक नगर जो [[रावलपिंडी]] के पास था) के निवासी थे। इनके जीवन की घटनाओं का विशेष संबंध मौर्य चंद्रगुप्त की राज्यप्राप्ति से है। ये उस समय के एक प्रसिद्ध विद्वान थे, इसमें कोई संदेह नहीं। कहते हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे।
 
चाणक्य के नाम पर डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा लिखित और निर्देशित एक 47-भाग का [[धारावाहिक]] भी बना था जिसे मूल रूप से 8 सितंबर 1991 से  9  अगस्त 1992 तक डीडी नेशनल पर प्रसारित किया गया था।