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हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की प्रख्यात गायिका '''गंगूबाई हंगल''' ({{lang-kn|ಗಂಗೂಬಾಯಿ ಹಾನಗಲ್}}) का जन्म ५ मार्च, १९१३ को हुआ था। शास्त्रीय संगीत की किराना घराना का प्रतिनिधित्व करने वाली गंगबाई ने शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सवाई गंधर्व से सीखीं। वर्तमान में गंगूबाई कर्नाटक के हुबली शहर में रहती हैं। इनकी आत्मकथा Nanna Badukina Haadu (मेरे जीवन का संगीत) शीर्षक से प्रकाशित हुई है।
==प्रारंभिक जीवन==
गंगूबाई हंगल का जन्म धारवाड़ जिले के शुक्रवारादापेते में हुआ था। देवदासी परंपरा में जन्मी <ref name=f1>{{cite news|url=http://www.hindu.com/fline/fl2304/stories/20060310000708000.htm|title=अंग्रेजी पाक्षिक फ्रंटलाइन में प्रकाशित लेख।२५ फरवरी–१० मार्च, २००६|author=गणेश, दीपा}}</ref> गंगूबाई की मां अंबाबाई [[कर्नाटक संगीत]] की ख्यातिलब्ध गायिका थीं। इन्होंने प्रारंभ में देसाई कृष्णाचार्य और दत्तोपंत से शास्त्रीय संगीत सीखा, जिसके बाद इन्होंने सवाई गंधर्व से शिक्षा ली।
==पुरस्कार और सम्मान==
* कर्नाटक संगीत नृत्य अकादमी पुरस्कार, १९६२
* पद्म भूषण, १९७१
* पद्म विभूषण, २००२
* संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, १९७३
==निजी जिंदगी==
इनके और गुरुराओ कौल्गी के दो बेटे, बाबूराव व नारायण और एक बेटी, शास्त्रीय गायक कृष्णा हैं।
==संदर्भ==
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{{१९७१ पद्म भूषण}}
[[श्रेणी:१९७१ पद्म भूषण]]
[[श्रेणी:२००२ पद्म विभूषण]]
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