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'''केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान''' या '''केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान''' [[भारत]] के [[राजस्थान]] में स्थित एक विख्यात पक्षी अभयारण्य है। इसको पहले [[भरतपुर पक्षी विहार]] के नाम से जाना जाता था। इसमें हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाए जाते हैं, जैसे साईबेरिया से आये सारस, जो यहाँ सर्दियों के मौसम में आते हैं। यहाँ २३० प्रजाति के पक्षियों ने [[राष्ट्रीय उद्यान|भारत के राष्ट्रीय उद्यान]] में अपना घर बनाया है। अब यह एक बहुत बड़ा पर्यटन स्थल और केन्द्र बन गया है, जहाँ पर बहुतायत में पक्षीविज्ञानी शीत ऋतु में आते हैं। इसको १९७१ में संरक्षित पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में १९८५ में इसे 'विश्व धरोहर' भी घोषित किया गया है। RAHUL CHHAWADI Kotputli
 
'''केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान''' या '''केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान''' [[भारत]] के [[राजस्थान]] में स्थित एक विख्यात पक्षी अभयारण्य है। इसको पहले [[भरतपुर पक्षी विहार]] के नाम से जाना जाता था। इसमें हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाए जाते हैं, जैसे साईबेरिया से आये सारस, जो यहाँ सर्दियों के मौसम में आते हैं। यहाँ २३० प्रजाति के पक्षियों ने [[राष्ट्रीय उद्यान|भारत के राष्ट्रीय उद्यान]] में अपना घर बनाया है। अब यह एक बहुत बड़ा पर्यटन स्थल और केन्द्र बन गया है, जहाँ पर बहुतायत में पक्षीविज्ञानी शीत ऋतु में आते हैं। इसको १९७१ में संरक्षित पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में १९८५ में इसे 'विश्व धरोहर' भी घोषित किया गया है। RAHUL CHHAWADI Kotputli 9785857277
 
== इतिहास ==