"होलकर": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
सर्वप्रथम मल्हाराव होल्करहोलकर ने इस वंश की कीर्ति बढ़ाई। मालवाविजय में पेशवा बाजीराव की सहायता करने पर उन्हें मालवा की सूबेदारी मिली। उत्तर के सभी अभियानों में उन्होंने में पेशवा को विशेष सहयोग दिया। वे मराठा संघ के सबल स्तंभ थे। उन्होंने इंदौर राज्य की स्थापना की। उनके सहयोग से मराठा साम्राज्य पंजाब में अटक तक फैला। [[सदाशिवराव भाऊ]] के अनुचित व्यवहार के कारण उन्होंने [[पानीपत का तृतीय युद्ध|पानीपत के युद्ध]] में उसे पूरा सहयोग न दिया पर उसके विनाशकारी परिणामों से मराठा साम्राज्य की रक्षा की।
 
मल्हारराव के देहांत के पश्चात् उसकी विधवा पुत्रवधू अहल्याअहिल्या बाईदेवी होलकर ने तीस वर्ष तक बड़ी योग्यता से शासन चलया। सुव्यवस्थित शासन, राजनीतिक सूझबूझ, सहिष्णु धार्मिकता, प्रजा के हितचिंतन, दान पुण्य तथा तीर्थस्थानों में भवननिर्माण के लिए ने विख्यात हैं। उन्होंने महेश्वर को नवीन भवनों से अलंकृत किया। सन् १७९५ में उनके देहांत के पश्चात् तुकोजी होल्करहोलकर ने तीन वर्ष तक शासन किया। तदुपरांत उत्तराधिकार के लिए संघर्ष होने पर, अमीरखाँ तथा [[पंडारी|पिंडारियों]] की सहायता से यशवंतराव होल्करहोलकर इंदौर के शासक बने। पूना पर प्रभाव स्थापित करने की महत्वाकांक्षा के कारण उनके और दोलतराव सिंधिया के बीच प्रतिद्वंद्विता उत्पन्न हो गई, जिसके भयंकर परिणाम हुए। मालवा की सुरक्षा जाती रही। मराठा संघ निर्बल तथा असंगठित हो गया। अंत में होल्करहोलकर ने [[सिंधिया]] और पेशवा को हराकर [[पूना]] पर अधिकार कर लिया। भयभीत होकर बाजीराव द्वितीय ने १८०२ में बेसीन में अंग्रेजों से अपमानजनक संधि कर ली जो [[द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध]] का कारण बनी। प्रारंभ में होल्करहोलकर ने अंग्रेजों को हराया और परेशान किया पर अंत में परास्त होकर राजपुरघाट में संधि कर ली, जिससे उन्हें विशेष हानि न हुई। १८११ में यशवंतराव होलकर की मृत्यु हो गई।
 
[[अंतिम आंग्ल-मराठा युद्ध]] में परास्त होकर मल्हारराव द्वितीय को १८१८ में मंदसौर की अपमानजनक संधि स्वीकार करनी पड़ी। इस संधि से इंदौर राज्य सदा के लिए पंगु बन गया। गदर में तुकोजी द्वितीय अंग्रेजी के प्रति वफादार रहे। उन्होंने तथा उनके उत्तराधिकारियों ने अंग्रेजों की डाक, तार, सड़क, रेल, व्यापारकर आदि योजनाओं को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग दिया। १९०२ से अंग्रेजों के सिक्के होल्करहोलकर राज्य में चलने लगे। १९४८ में अन्य देशी राज्यों की भाँति इंदौर भी स्वतंत्र भारत का अभिन्न अंग बन गया और महाराज होल्करहोलकर को निजी कोष प्राप्त हुआ।
 
== होलकर साम्राज्य की स्थापना ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/होलकर" से प्राप्त