"मन्नू भंडारी": अवतरणों में अंतर

कहानी के बारे में विवरण दिया हूँ।
→‎प्रमुख कृतियाँ: पाठ सुधार और संदर्भ
पंक्ति 7:
*तीन निगाहों की एक तस्वीर,
*यही सच है (१९६६),
*त्रिशंकु'
*आंखों देखा झूठ'
*अकेली - यह कहानी ''सोमा बुआ'' नाम के पात्र को केंद्र में रखकर लिखी गई है। सोमा अपने पास पड़ोस से घुलने-मिलने के प्रयासों के बावजूद अकेली पड़ जाती है। वह अकेली इसलिए है क्योंकि वह परित्यक्ता है, बूढ़ी हो चली है तथा उसका पुत्र भी उसे छोड़कर जा चुका है। अपने परिवेश के साथ घुलने मिलने के उसके प्रयास भी एकतरफा हैं।<ref name="भंडारी1994">{{cite book|author=मन्नू भंडारी|title=Dasa pratinidhi kahāniyām̐|url=https://books.google.com/books?id=cl_xMJtf_E8C&pg=PA6|year=1994|publisher=Kitabghar Prakashan|isbn=978-81-7016-214-8|pages=6–}}</ref>
*अकेली'---यह कहानी एक महीने के लिए पत्नी का पात्र निभाने वाली एक अकेली औरत की कहानी है।जो कहानी की शुरूआती तीन पंक्तियों में पूरी कहानी की संवेदना प्रकट हो जाती है।
 
=== उपन्यास ===
पंक्ति 18:
विवाह विच्छेद की त्रासदी में पिस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका उपन्यास `आपका बंटी' (१९७१) हिन्दी के सफलतम उपन्यासों में गिना जाता है। लेखक और पति राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास `एक इंच मुस्कान' (१९६२) पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है जिसका एक एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा था।
 
मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास `महाभोज' (१९७९) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। इसी प्रकार 'यही सच है' पर आधारित 'रजनीगंधा' नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको १९७४ की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।<ref>{{cite web |url= http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/m/mannu_bhandari.htm|title=मन्नू भंडारी|access-date=[[२३ दिसंबर]] [[२००९]]|format=|publisher=अभिव्यक्ति|language=हिन्दी}}</ref> इसके अतिरिक्त उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, [[व्यास सम्मान]] और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।
 
== प्रकाशित कृतियाँ ==